कानपूर में केडीए का कर्मचारी 10 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार

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कानपूर में केडीए का कर्मचारी 10 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सरकारी विभागों में रिश्वत मांगने का खेल खत्म नहीं हो रहा है। विजिलेंस टीम ने मंगलवार को केडीए कार्यालय में तैनात सहायक लिपिक को 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। आरोपित एक अधिवक्ता से ईडब्ल्यूएस कालोनी की रजिस्ट्री कराने के नाम पर रिश्वत मांग रहा था। पकड़ा गया आरोपित केडीए कर्मचारी संगठन का प्रचार मंत्री भी है। बसंत विहार डब्ल्यू ब्लाक नौबस्ता निवासी वकील दीपेंद्र कुमार शुक्ल ने बताया कि वर्ष 1984 में उनकी मां कुसमा के नाम पर गुजैनी जे ब्लाक में ईडब्ल्यूएस कालोनी केडीए से आवंटित हुई थी। वर्ष 2004 में उन्होंने कालोनी की सभी किस्तों के लगभग नौ लाख रुपये जमा कर दिए थे। इसके बाद कालोनी की रजिस्ट्री कराने के लिए वह केडीए कार्यालय के चक्कर काट रहे थे।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, विश्व बैंक बर्रा सेल में तैनात सहायक लिपिक नीरज मेहरोत्रा रजिस्ट्री कराने के नाम पर 10 हजार रुपये देने का दबाव बना रहा था। दीपेंद्र ने सात सितंबर को खलासी लाइन स्थित विजिलेंस कार्यालय में जाकर शिकायत की। मंगलवार को विजिलेंस अपर पुलिस अधीक्षक पुत्तू राम ने इंस्पेक्टर राजन रावत, प्रदीप यादव, इंदु यादव, जयश्याम शुक्ला के नेतृत्व में टीम गठित की। इसके बाद टीम ने सहायक लिपिक को रंगे हाथ पकड़ने के लिए जाल बिछाया। अपराह्न साढ़े तीन बजे पीड़ित के साथ विजिलेंस की टीम केडीए कार्यालय के द्वितीय तल में पहुंची। वहां मौजूद सहायक लिपिक नीरज मेहरोत्रा को जैसे ही दीपेंद्र ने रिश्वत के 10 हजार रुपये दिए, जैसे ही विजिलेंस टीम उसे पकड़ लिया। इसके बाद घसीटते हुए सीधे विभाग ले गई। विजिलेंस के अपर पुलिस अधीक्षक पुत्तू राम ने बताया कि सहायक लिपिक की तलाशी लेने पर उसके पास 37,140 रुपये बरामद हुए हैं। साथ ही 10 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया है। आरोपित के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। दीपेंद्र ने बताया कि उसने वर्ष 2004 में आवास की सभी किस्त जमा कर दी थी। इसके बाद पटल में तैनात लिपिक व सहायक लिपिक उन्हें रजिस्ट्री के लिए कार्यालय के 20 साल से चक्कर लगवा रहे हैं। उन्होंने बताया कि रिश्वत की रकम से ज्यादा उसका समय और पेट्रोल चक्कर काटने में खर्च हो गया। परेशान होकर उसने विजिलेंस में शिकायत की। केडीए के द्वितीय तल में मौजूद कार्यालय में प्रवेश करने से पहले टीम को सुरक्षा गार्ड ने रोक लिया था। विजिलेंस टीम के सदस्यों ने खुद को रेलवे कर्मी बताकर रजिस्टर में हस्ताक्षर किए। सुरक्षा गार्ड ने अंदर जाने का कारण पूछा तो विजिलेंस टीम के सदस्यों ने कहा कि उन्हें प्लाट की रजिस्ट्री करानी है, इसी संबंध में लिपिक से मिलना है। महज सात मिनट में आरोपित सहायक लिपिक को गिरफ्तार कर विजिलेंस टीम चली गई। विशेष कार्याधिकारी केडीए सत शुक्ल ने बताया- विजिलेंस टीम ने विश्व बैंक सेल में तैनात सहायक लिपिक नीरज मेहरोत्रा को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है। विजिलेंस विभाग से रिपोर्ट मिलने के बाद सहायक लिपिक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

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