मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने ब्रिक्स ऊर्जा मंत्रियों की बैठक में ऊर्जा सुरक्षा को एक महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौती बताया है। उन्होंने भारत की ओर से ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग के महत्व पर बल दिया ताकि आर्थिक स्थिरता और सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके। बैठक में उन्होंने भारत की स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियों को प्रदर्शित किया। उन्होंने बिजली उत्पादन क्षमता, नवीकरणीय ऊर्जा, ग्रीन हाइड्रोजन और ऊर्जा पहुंच में दशकों की प्रगति को उजागर किया। उन्होंने सभी के लिए सस्ती, सुरक्षित और टिकाऊ ऊर्जा सुनिश्चित करने के अपने संकल्प को दोहराया। उन्होंने बताया कि भारत की बिजली उत्पादन क्षमता वर्ष 2025 तक 475 गीगावाट तक पहुंचने की उम्मीद है साथ ही देश का लक्ष्य 2032 तक 900 गीगावाट है। बैठक में भारत को दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा उत्पादक भी घोषित किया गया।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, उन्होंने ऊर्जा दक्षता, ग्रीन हाइड्रोजन, परमाणु ऊर्जा और जैव ईंधनों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने ब्रिक्स देशों को भारत के 2026 के ऊर्जा सम्मेलन में सक्रिय भागीदारी के लिए आमंत्रित किया। बैठक का समापन ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने, खुले और समावेशी ऊर्जा बाजारों को प्रोत्साहित करने, और सतत विकास का समर्थन करने के संयुक्त संकल्प के साथ हुआ। इस वर्ष के ब्रिक्स ऊर्जा मंत्रियों की बैठक का थीम थी – सामूहिक और समावेशी शासन के लिए वैश्विक दक्षिण सहयोग को मजबूत बनाना। ब्रिक्स ऊर्जा मंत्रियों ने हर देश के अपने ऊर्जा संक्रमण मार्ग का पीछा करने के अधिकार का समर्थन किया। उन्होंने सस्ती वित्तपोषण को बढ़ाने, सतत ऊर्जा पहलों को आगे बढ़ाने में नई विकास बैंक की भूमिका का समर्थन किया, और तकनीकी तटस्थता और निष्पक्ष, पारदर्शी वैश्विक मानकों की वकालत की।
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