गुजरात विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दल पूरे राज्य में जोर-शोर से प्रचार में लगे हैं। जहां सार्वजनिक सभाएं, रैलियां, सोशल मीडिया, रोबॉट आदि के जरिए वोट मांगे जा रहे हैं, वहीं आज के इस युग में इंटरनेट कनेक्शन, सीसीटीवी कैमरे, पानी के लिए आरओ प्लांट जैसी अत्याधुनिक सुविधा से लेस एक गांव ऐसा भी है, जहां सन्नाटा पसरा हुआ है। राजनीतिक दलों को यहां प्रचार की अनुमति नहीं है। लगभग 17 सौ लोगों की आबादी वाला यह गांव राजकोट जिले का राज समधियाला है। इसमें करीब नौ सौ 95 मतदाता हैं। दरअसल, इस गांव में किसी भी पार्टी की रैली और घर-घर जाकर वोट मांगने पर रोक है। जिला मुख्यालय से 21 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव के लोगों ने यह पाबंदी लगाई है। इसके अलावा वोट नहीं करने पर 51 रुपये का जुर्माना भी लगाया जाता है।
गांव के बाहर एक नोटिस बोर्ड लगा है, जिसमें चुनाव प्रचार पर रोक सहित कई तरह के प्रतिबंध छपे हैं। प्रचार पर रोक होने के बावजूद यहां रिकॉर्ड स्तर पर वोटिंग होती है। 1983 से प्रचार पर लगी रोक के बारे में गांव में गांव के लोगों का मानना है कि राजनीतिक दलों के आने से माहौल खराब होता है। इस अनोखे नियम को यहां के एक पुराने सरपंच हरदेव सिंह ने बनाया था, जिसके लिए उन्होंने एक मुहिम चलाई थी जिसे खूब समर्थन मिला था। यह गुजरात का आदर्श गांव भी है। यहां कोई भी अपने घर या दुकान में ताला नहीं लगाता है। यहां की दुकानों से लोग अपनी जरूरत का सामान ले जाते हैं और पैसे दुकान पर रख जाते हैं। इस गांव में चोरी नहीं होती है। साथ ही गांव में गुटखा पर भी प्रतिबंध है। यहां पर आम सहमति से ही सरपंच चुना जाता है।
News & Image Source : newsonair.gov.in
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