DailyAawaz Exclusive Story: वृंदावन में एक भक्त एवं भगवान की सत्य घटना सुनिए..
एक बार की बात है, वृन्दावन में एक संत हुए श्री देवाचार्य नागाजी महाराज जो कि निम्बार्क सम्प्रदाय से थे। कहा जाता है कि उनकी बड़ी-बड़ी जटाएं थी और यह भी मान्यता है कि वो वृन्दावन के सघन वन में जाकर भजन करते थे।
“हा राधे हा गोविंद” ऐसे कहते उनकी आँख से आंसू भी आ जाया करते थे। एक दिन जब वे जा रहे थे तो रास्ते में उनकी बड़ी-बड़ी जटाएं झाड़ियों में उलझ गई। उन्होंने सुलझाने का खूब प्रयत्न किया किन्तु वे सफल नहीं हो पाए और थक कर वही बैठ गए और बैठे-बैठे गुनगुनाने लगे,
“हे मुरलीधर छलिया मोहन
हम भी तुमको दिल दे बैठे,
गम पहले से ही कम तो ना थे,
एक और मुसीबत ले बैठे “
कहा जाता है कि इस दौरान बहुत से ब्रजवासी जन आये और बोले बाबा हम सुलझा देवे तेरी जटाएं, तो बाबा ने सबको डांट के भगा दिया और कहा कि जिसके भजन हम करते हैं, वोही आएगा सुलझाने को। उनको एक गहरा बिस्वास था अपने मन मन्दिर में भगवान के प्रति। यही तो है भक्ति की असली शक्ति है।
समय बीतता गया, बाबा को वही बैठे-बैठे……१ दिन,२दिन,३ दिन हो गये… और वे गुनगुनाते रहे
“कब कृपा करोगी राधे,
कब दोगी दर्शन,
तुम बिन सुना सुना,
मेरा यह जीवन” – बस! बाबा यही गुनगुनाते रहते, तभी सामने से एक १५-१६ वर्ष का सुन्दर किशोर हाथ में लकुटी लिए आता हुआ अकेला उनको दिखा। जिसकी मतवाली चाल अद्भुत और अलोकिक थी। उसका मुखमंडल करोड़ों सूर्यों के जितना चमक रहा था और चेहरे पर प्रेमियों के हृदय को चीर देने वाली मुस्कान थी। वह आते ही बाबा से बोले ” बाबा हमहूँ सुलझा दें जटा”।बाबा बोले आप कौन हैं श्रीमान जी?
तो ठाकुर जी बोले -“हम व्रज की ग्वाले हैं”
तो बाबा बोले हम तुझे नहीं जानते। तो भगवान् फिर आये थोड़ी देर में और बोले -“बाबा अब सुलझा दें”।
तो बाबा बोले अब कौन है श्रीमान जी ।
तो ठाकुरजी बोले -“हम हैं वृन्दावन के छोरे”।
तो बाबा बोले हम तुझे नहीं जानते। तो ठाकुर जी बोले तो बाबा किसको जानते हो बताओ?
तो बाबा बोले हम तो सिर्फ एक ही छोरे को जानता हूं,और वो है मेरे आराध्य कुंजबिहारी। तो भगवान् ने तुरंत कुंजबिहारी का स्वरुप बना लिया – हांथों में बंशी, माथे पर मौरमुकुट, पीताम्बर धारण किये,बांकेबिहारी सी झलक।
अब ठाकुरजी बाबा से बोले -“ले बाबा अब जटा सुलझा दूँ”।
तब बाबा बोले -“क्यों रे लाला हमहूँ पागल बनावे लग्यो! मेरे कुंजबिहारी तो बिना श्री राधा जू के एक पल भी ना रह पावे और एक तू है अकेलो आये मुझे ठगने के लिये”। तभी पीछे से मधुर रसीली आवाज आई -“बाबा, हम यहीं हैं” – ये थी हमारी श्री राधाजी। और राधाजी बोली – “अब सुलझा देवे बाबा आपकी जटा”। तो बाबा मन्द-मन्द मुस्कुराए और बोले युगल दर्शन ही जब पा लिया, अब तो ये जीवन ही सुलझ गया, जटा की क्या बात है?, यह रहे या खुले, मेरा जीवन तो सफल हो गया”
यह स्थान अभी भी है, कदम्बखण्डी नाम से विख्यात है जहाँ भक्त सब दर्शन करते है। कहा जाता है कि, ठाकुरजी ने खुद अपने हांथो से बाबा की जटा खोली थी और श्रीराधाजी ने अपने हाथो से बाबा को प्रसाद खिलाया था। उस स्थान पर अब राधाकृष्ण निकुंज बिहारी मंदिर है। निम्बार्क सम्प्रदाय के जिसके आचार्य है हंस भगवान। यह सबसे प्राचीन राधाकृष्ण युगल भजन सम्प्रदाय है, ५००० साल से भी प्राचीन। वृन्दावन में यह घटनास्थली (कडम्बखण्डी) के सबको जरूर दर्शन करना चाहिए। वहां उस मन्दिरमें इस दिव्य घटना को पत्थर पर खोदाई किया गया है, यह बरसाना से आधे घंटे की दूरी पर है।
प्रेम से बोलिए
“राधे राधे”
#dailyaawaz #newswebsite #news #newsupdate #hindinews #breakingnews #headlines #headline #newsblog #hindisamachar #latestnewsinhindi
Hindi news, हिंदी न्यूज़ , Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest News in Hindi, Breaking News in Hindi, ताजा ख़बरें
@bhagwa_sonam