मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है। और एक कमेटी के गठन का एलान किया है। इसी के साथ जस्टिस वर्मा के महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला द्वारा गठित तीन सदस्यीय कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वीबी आचार्य शामिल हैं। स्पीकर ने कहा कि मुझे यह प्रस्ताव नियमों के अनुरूप मिला है जिसके बाद मैंने इस कमेटी का गठन किया है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 14 मार्च, 2025 को जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास में आग लगी थी, आग बुझाने पहुंचे दमकल कर्मियों को आउट हाउस में अधजले नोट मिले थे, लेकिन इस बात का खुलासा कई दिनों बाद हुआ था। ये खुलासा होने के तुरंत बाद कोलेजियम ने आनन-फानन में बैठक बुलाकर उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर करने का निर्णय ले लिया। मामला मीडिया में आने के बाद तूल पकड़ने लगा जिससे बाद तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना ने अलग-अलग हाई कोर्ट के तीन जजों की समिति गठित कर जांच का निर्देश दिया और जांच शुरू कर दी।इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के तल्ख रुख ने इसे और गरमी दे दी। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने वर्मा के तबादले का विरोध तो किया ही, हड़ताल की घोषणा भी कर दी। इस बीच न्यायमूर्ति वर्मा ने अपनी ओर से दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर सफाई भी दी कि सारे आरोप बेतुके, अविश्वसनीय और हास्यापद हैं। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति स्टाफ क्वार्टर के पास या आउट हाउस में खुले और सुलभ स्थान पर नकदी रखेगा, इस पर विश्वास नहीं किया जा सकता। हालांकि, इसका जांच पर कोई असर नहीं पड़ा।
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