जहां ‘श्री’ होती हैं वहां समृद्धि भी होती है और समग्रता भी होती है-पीएम मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज पूसा, नई दिल्ली में ग्लोबल मिलेट्स (श्री अन्ना) सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि, ग्लोबल मिलेट्स (श्री अन्न) कॉन्फ्रेंस जैसे आयोजन न सिर्फ Global Goods के लिए जरूरी हैं, बल्कि Global Goods में भारत की बढ़ती जिम्मेदारी का भी प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि, जब हम किसी संकल्प को आगे बढ़ाते हैं, तो उसे सिद्धि तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी उतनी ही अहम होती है। मुझे खुशी है कि आज विश्व जब ‘international millet year’ मना रहा है, तो भारत इस अभियान की अगुवाई कर रहा है। उन्होंने बताया कि, हमारे युवा साथी किस प्रकार के नए-नए स्टार्टअप लेकर इस क्षेत्र में आए हैं, ये भी अपने आप में प्रभावित करने वाला है। ये सभी भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। उन्होंने आगे कहा कि, ‘श्री अन्न’ केवल खेती या खाने तक सीमित नहीं हैं, जो लोग भारत की परंपराओं से परिचित हैं, वह ये भी जानते हैं कि हमारे यहां किसी के आगे ‘श्री’ ऐसे ही नहीं जुड़ता है। जहां ‘श्री’ होती हैं वहां समृद्धि भी होती है और समग्रता भी होती है।

पीएम मोदी ने आगे बताया कि, ‘श्री अन्न’ भी भारत में समग्र विकास का माध्यम बन रहा है, इसमे गांव भी जुड़ा है और गरीब भी जुड़ा है। श्री अन्न यानी देश के छोटे किसानों के समृद्धि का द्वार श्री अन्न यानी देश के करोड़ों लोगों के पोषण का कर्णधार श्री अन्न यानी देश के आदिवासी समाज का सत्कार श्री अन्न यानी कम पानी में ज्यादा फसल की पैदावार श्री अन्न यानी केमिकल मुक्त खेती का बड़ा आधार श्री अन्न यानी क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों से निपटने में मददगार है। उन्होंने कहा कि, इंटरनेशनल सोलर एलायंस के रूप में आज भारत का ये प्रयास sustainable planet के लिए एक प्रभावी मंच का काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि, चाहे LIFE मिशन की अगुवाई हो, Climate Change से जुड़े लक्ष्यों को समय से पहले हासिल करना हो, हम अपनी विरासत से प्रेरणा लेते हैं, समाज में बदलाव को शुरू करते हैं और उसे विश्व कल्याण की भावना तक लेकर जाते हैं। यही आज भारत के ‘मिलेट मूवमेंट’ में भी दिख रहा है। उन्होंने आगे कहा कि, Climate resilient होना मिलेट्स की ताकत है। बहुत Adverse Climatic Conditions में भी मिलेट्स का आसानी से उत्पादन हो जाता है। इसकी पैदावार में अपेक्षाकृत पानी भी कम लगता है, जिससे Water crisis वाली जगहों के लिए ये एक पसंदीदा फसल बन जाती है।

News & Image Source : (Twitter) @BJP4India

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