उज्जैन में 700 करोड की लागत से बने महाकाल काेरिडोर के पहले फेज का काम पूरा होने के करीब
महाकाल मंदिर परिसर में हुए विकास कार्यों को देखने के लिए दुनिया भर से पर्यटक आएंगे। पर्यटक यहां ज्यादा दिन ठहरें, इसके लिए मप्र सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। इस महाकाल कोरिडोर से यहां का व्यापार और व्यवसाय भी बढेगा। पर्यटकों की सुविधाओं को देखते हुए उज्जैन से जुड़े सभी बाहरी एवं आंतरिक मार्गों को भी चौंड़ा किया जा रहा है। पर्यावरण सुधार और यातायात की सुविधा को दुरुस्त करने के लिए काफी काम हो चुके हैं और आगे भी किये जाने को योजना बनाई जा रही है।
इस महाकाल कोरिडोर के पहले चरण में प्रमुख रूप से महाकालेश्वर वाटिका, महाकालेश्वर पथ, शिव अवतार वाटिका, रूद्र सागर तट, नूतन विद्यालय परिसर, गणेश विद्यालय परिसर, पार्किंग, धर्मशाला और प्रवचन हॉल के अलावा भी कई कार्यों को भव्यता प्रदान की जा रही है।
महाकाल कोरिडोर परियोजना के अंतर्गत रुद्रसागर की तरफ 920 मीटर लंबा कोरिडार, महाकाल मंदिर मुख्य द्वार, दुकानों, मूर्तियों का निर्माण सात मार्च 2019 को शुरू हुआ था और काम खत्म करने की अंतिम तिथि 15 मार्च 2022 तय की गई थी। किन्तु इस अवधि में भी काम पूरा नहीं हुआ। डेढ़ महीने पहले एक मार्च को उज्जैन आए मप्र मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया तो देवी-देवताओं की मूर्तियों की भाव-भंगिमाओं में सुधार करने के निर्देश दिए थे।
शिवपुराण के आधार पर अन्दर मूर्तियों की शिल्पी का कार्य किया गया है और मूर्तियों के माध्यम से कई ऐसे प्रसंगों को भी मूर्त रूप दिया गया है जो शिवपुराण में उल्लेखित है। मंदिर में प्रवेश के लिए 5 दरवाजे बनाये गये हैं। महाकाल कोरीडोर में 108 खूबसूरत स्तंभों को भव्यता प्रदान की जा रही है। यहां पर देवी-देवताओं की 127 विशाल मूर्तियां भी बनाई गईं हैं।