उज्जैन: मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में 11 जुलाई से 9 अगस्त तक श्रावण का उल्लास छाएगा। इस बार श्रावण मास में भगवान महाकाल के भांग शृंगार की बुकिंग फुल हो गई है। इस पुण्य पवित्र मास में ज्योतिर्लिंग के शिखर पर ध्वज चढ़वाने की इच्छा रखने वाले भक्तों को भी इंतजार करना पड़ेगा। देशभर के श्रद्धालुओं ने शिखर पर ध्वज चढ़वाने के लिए भी अग्रिम बुकिंग करा ली है।
महाकाल मंदिर की पूजन परंपरा में शाम 7 बजे संध्या आरती में भगवान महाकाल का भांग व सूखे मेवे से दिव्य रूप में शृंगार किया जाता है। पुजारी भक्तों के सहयोग से भगवान का भांग शृंगार करते हैं। देशभर के हजारों भक्त अपने जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ अथवा अन्य किसी विशेष अवसर पर भगवान का भांग शृंगार करवाते हैं। मंदिर समिति ने व्यवस्था की दृष्टि से भगवान के भांग शृंगार के लिए अग्रिम बुकिंग का विकल्प रखा है।
कोई भी भक्त मंदिर कार्यालय में 1100 रुपये की शासकीय रसीद कटवाकर अग्रिम बुकिंग करवा सकते हैं। जिस दिन भक्त की ओर से भगवान का शृंगार कराया जाता है, उस दिन श्रद्धालु व अनके परिवार के सदस्य को आरती दर्शन की विशेष अनुमति दी जाती है।
भगवान महाकाल के भांग शृंगार में अधिकतम साढ़े तीन किलो भांग का उपयोग होता है। इसके अलावा सूखे मेवे, भगवान के लिए वस्त्र, पूजन सामग्री, हार-फूल, मिष्ठान आदि सामग्री लगती है। इसमें करीब 8 से 10 हजार रुपये खर्च आता है। भक्तों को यह राशि पुजारी को देना होती है, वे ही शृंगार के लिए शुद्ध भांग व पूजा की हर्बल सामग्री का इंतजाम करते हैं।
अलग-अलग रूप में शृंगार
भगवान महाकाल का पर्व त्यौहार व वार के अनुसार अलग-अलग रूप में भगवान का शृंगार किया जाता है। जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण, प्रत्येक बुधवार को गणेश, नागपंचमी पर शेषनाग रूप में दर्शन देते हैं।
ध्वज चढ़ाने के लिए 3200 रुपये का खर्च
महाकाल मंदिर के शिखर पर ध्वज चढ़ाने के लिए भक्त को 3200 रुपये का खर्च आता है। इसमें 1100 रुपये की शासकीय रसीद कटवाना होती है। ध्वज, पूजन सामग्री आदि का खर्च 2100 रुपये है। बता दें महानिर्वाणी अखाड़े के महंत द्वारा पूजा अर्चना के बाद कुशल कर्मचारी मंदिर के शिखर पर चढ़कर ध्वज आरोहण करते हैं।
भांग शृंगार और शिखर ध्वज की बुकिंग फुल
श्रावण मास में भगवान महाकाल के भांग शृंगार व शिखर पर ध्वज आरोहण की बुकिंग फुल हो गई है। दर्शनार्थी अब अगले महिनों के लिए बुकिंग करा सकते हैं। – मूलचंद जूनवाल, सहायक प्रशासक महाकाल मंदिर
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