मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर प्रत्याशियों की आखिरी सूची भी जारी कर दी है। इस सूची के अनुसार धनबाद से अजय दुबे को उम्मीदवार बनाया गया है तो बोकारो से श्वेता सिंह को। अजय दुबे पुराने कांग्रेसी होने के साथ-साथ कोल बेल्ट के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। दूसरी ओर पूर्व मंत्री स्व. समरेश सिंह की बहू श्वेता सिंह को यह दूसरा मौका मिला है। पिछली बार उन्हें लगभग 99 हजार वोट मिले थे और भाजपा उम्मीदवार बिरंची नारायण से वह लगभग 13 हजार वोटों से हार गई थीं। लंबे समय तक बोकारो के विधायक रहे समरेश सिंह की बोकारो में तूती बोलती थी। दोनों सीटों पर दावेदारों की लंबी सूची के कारण कांग्रेस को निर्णय लेने में बहुत देरी हो गई। कांग्रेस ने सोमवार देर रात धनबाद और बोकारो से प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के हस्ताक्षर से जारी उम्मीदवारों की सूची को जोड़कर 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा के लिए कांग्रेस ने 30 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। छतरपुर और विश्रामपुर में कांग्रेस उम्मीदवारों के साथ-साथ राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार भी मैदान में हैं और इस बात की उम्मीद भी खत्म हो चुकी है कि कोई अपना उम्मीदवार वापस लेगा। इस प्रकार दो सीटों पर महागठबंधन के दोनों दलों के बीच फ्रेंडली फाइट तय हो गया है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, विधानसभा के पहले चरण को लेकर मनिका विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत महुआडांड़ अनुमंडल कार्यालय में सोमवार को सभी प्रत्याशी का स्क्रूटनी कार्य निर्वाचन पदाधिकारी सह एसडीएम विपिन कुमार दुबे के समक्ष हो रही थी। इस दौरान पूर्व विधायक रामचंद्र सिंह के प्रस्ताव ने कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सह बागी उम्मीदवार मुनेश्वर उरांव के खिलाफ स्कूटनी के समय आवेदन देकर बताया की मुनेश्वर उरांव पर बैंक से कर्ज लेकर डिफाल्ट होने का सुबूत देते हुए नामांकन पत्र रद्द करने की मांग की। इस संबंध में निर्वाचन पदाधिकारी सह एसडीएम विपिन कुमार दुबे ने बताया रामचंद्र सिंह के प्रस्ताव के द्वारा मुनेश्वर उरांव के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई गई है। जांच कर 29 अक्टूबर को स्कूटनी संबधित रिजल्ट 11 बजे घोषणा की जाएगी। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सोनाल शांति ने भाजपा के चुनाव सह प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा के आरोपों पर जवाब देते हुए कहा कि भाजपा के खुद का दामन कालिख से भरा हुआ है। भाजपा में उम्मीदवार बनने की तीन योग्यताएं भ्रष्टाचारी होना, दूसरे दल का और बड़े नेताओं का रिश्तेदार होना है। भ्रष्टाचारियों की पूरी फौज भाजपा ने झारखंड में उतार रखी है। पूरे देश में उम्मीदवारों का सर्वे उठाकर देखा जाए तो भाजपा भ्रष्टाचारियों को उम्मीदवार बनाने में अव्वल है। आज झारखंड सहित देश में भाजपा के सांसद और विधायकों की 60 प्रतिशत संख्या ऐसे नेताओं की है, जो दूसरे दलों से आए हुए हैं। झारखंड बीजेपी की पूरी टीम दूसरा दलों की आयातित नेताओं की है। खुद भाजपा के प्रदेश प्रमुख मरांडी इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। बड़े नेताओं के नजदीकी रिश्तेदारों की उम्मीदवारी के मामले में भाजपा पहले नंबर पर है और परिवारवाद का जीता जागता उदाहरण बीजेपी है। पूर्णिमा दास साहू, गीता कोड़ा, मीरा मुंडा, रोशन चौधरी, चम्पाई सोरेन, बाबूलाल सोरेन, भानु प्रताप शाही, पुष्पा देवी जैसे लोग इस चुनाव में उम्मीदवार के रूप में सामने है जो परिवारवाद का नमूना है। हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस पर आरोप लगाने से पहले अपने घर के आंगन को नहीं देखा।
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