मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने मंगलवार को चंडीगढ़ में टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लेबोरेटरी की रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड (आरटीआरएस) सुविधा में लड़ाकू विमान एस्केप सिस्टम का उच्च गति रॉकेट-स्लेज परीक्षण सफलतापूर्वक किया। परीक्षण में 800 किमी/घंटा की नियंत्रित गति प्राप्त की गई तथा कैनोपी पृथक्करण, इजेक्शन अनुक्रमण और पूर्ण एयरक्रू रिकवरी को मान्य किया गया। डीआरडीओ ने यह परीक्षण एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से किया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने स्वदेशी फाइटर जेट एस्केप सिस्टम विकसित किया है, जो डेवलपिंग फेज में चल रहे लड़ाकू विमानों में लगाए जाएंगे, जिसमें तेजस मार्क-2 और एएमसीए है। डीआरडीओ ने फाइटर एयरक्राफ्ट एस्केप सिस्टम का हाई-स्पीड रॉकेट स्लेज टेस्ट मंगलवार को सफलतापूर्वक किया।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह पूरा परीक्षण चंडीगढ़ की रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड (आरटीआरएस) सुविधा में किया गया। लड़ाकू विमान के अगले हिस्से (फोरबॉडी) को एक दोहरी स्लेड प्रणाली पर रखकर कई शक्तिशाली रॉकेट मोटरों की मदद से 800 किलोमीटर प्रति घंटा की सटीक नियंत्रित गति तक दौड़ाया गया। इस हाई-स्पीड रन के दौरान कैनोपी विच्छेद यानी पायलट के ऊपर का कवर हटाना और इजेक्शन सीक्वेंसिंग यानी पायलट सीट का बाहर निकलना सफलतापूर्वक काम किया। पूरा सिस्टम पायलट (डमी) को विमान से बाहर निकालकर सुरक्षित रिकवर करने में 100% सफल रहा। डीआरडीओ ने यह उपलब्धि एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीएल) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के सहयोग से हासिल की। इस सफलता के बाद, भारतीय पायलटों की सुरक्षा अब स्वदेशी रूप से विकसित और उच्च मानकों पर परखे गए सिस्टम के हाथों में है।
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