तमिलनाडु की संस्कृति में गहराई से रचा-बसा है शैव सिद्धांत का दर्शनः जेपी नड्डा

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मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा है कि शैव सिद्धांत के शाश्वत आध्यात्मिक संस्थान दर्शनशास्त्र का प्रकाश स्तंभ बने रहते हैं। आज चेन्नई के पास आयोजित छठे अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में उन्होंने कहा कि शैव सिद्धांत केवल एक दर्शन नहीं, बल्कि एक आत्मा है, जो तमिलनाडु की संस्कृति में गहराई से रचा-बसा है।

उन्होंने कहा कि इसने दर्शनशास्त्र को पवित्र कला और मंदिरों के माध्यम से पोषित किया है। उन्‍होंने कहा कि तमिलनाडु ऐसी भूमि है जिसने दैवराम और थिरुवासगम दिए हैं, जो आज भी जीवंतता से गाए जाते हैं और अनंत बुद्धि का आह्वान करते हैं।

उन्होंने कहा कि शैव दर्शन और इसके पवित्र भजनों में से दैवराम, जिसे आप्पार, सुन्दरार और तिरुग्नान संबन्धन ने रचा, ने दिव्य ऊर्जा का उपदेश दिया है और ये गीत मनुष्यों के हृदय को छू जाते हैं।

उन्होंने कहा आज एसआरएम मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में हृदय विज्ञान संस्थान तथा ट्रॉमा एवं आपातकालीन विभाग जैसे दो उत्कृष्ट केंद्र का उद्घाटन किया गया है। यह सम्मेलन आज से 5 तारीख तक चल रहा है। यह तिरुकयिल परंपरा धर्मपुरम अधीनम के तिरुकयिला परम्परा धर्मपुरम अधीनम के अंतरराष्ट्रीय सैवा सिद्धांत अनुसंधान संस्थान के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।

इसमें भारत और विदेशों से आए प्रमुख धार्मिक विद्वान, आध्यात्मिक नेता, शोधकर्ता, छात्र और विशेष अतिथि सहित तीन हजार से अधिक भाग लेने वाले शामिल हैं।

इस सम्मेलन का उद्देश्य तमिल संस्कृति और परंपरा में गहरे रचे हुए शैव सिद्धांत के अध्ययन और समझ को और विकसित करना है। यह सम्मेलन 75 विद्वानों की प्रकाशनों का विमोचन भी करेगा, जो तमिल शैव संस्कृति की दर्शनिक गहराई और आध्यात्मिक समृद्धि को उजागर करेंगे।

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News & Image Source: newsonair.gov.in

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