मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, तमिलनाडु विधेयक मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने न्यायालय से सवाल पूछे हैं। उन्होंने कहा कि संविधान में निर्धारित समय सीमा की व्यवस्था न होने पर भी क्या विधेयकों की मंजूरी के लिए राज्यपालों पर कोई समय सीमा तय की जा सकती है? संविधान के अनुच्छेद 143 (1) के तहत राष्ट्रपति को विधि और लोक महत्व के मामलों में सर्वोच्च न्यायालय की राय लेने का अधिकार है।
राष्ट्रपति मुर्मु ने 14 सवालों पर न्यायालय की राय पूछी है। इसमें कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेदों 200 और 201 जिसमें राज्यपालों और राष्ट्रपति द्वारा विधेयकों की मंजूरी की प्रक्रिया निर्धारित की गई है, उसमें किसी तरह की समय सीमा या विशेष प्रक्रिया संबंधी आवश्यकताओं का उल्लेख नहीं है।
राष्ट्रपति ने शीर्ष न्यायालय से कहा है कि संविधान के अनुच्छेद-200 के अंतर्गत जब राज्यपाल को विधेयक मंजूरी के लिए भेजा जाता है उस समय उसके पास क्या संवैधानिक विकल्प है।
इसके अतिरिक्त यह भी पूछा गया है कि अगर विधेयकों पर राज्यपाल द्वारा संविधान के अनुसार लिया गया फैसला न्यायसंगत हो, तो संविधान के अनुच्छेद-361 के तहत उनके फैसलों पर कब न्यायिक समीक्षा को पूरी तरह रोका जा सकता है।
राष्ट्रपति मुर्मु ने सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्देश पर सवाल उठाया, जिसमें कहा गया है कि विधेयकों पर तय समयसीमा में मंजूरी न देने की स्थिति में उसे स्वीकृत मान लिया जाएगा। इस तरह से स्वीकृति मान लिये जाने की अवधारणा संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप नहीं है तथा राष्ट्रपति और राज्यपाल की शक्तियों को मौलिक रूप से सीमित करती है।
#dailyaawaz #newswebsite #news #newsupdate #hindinews #breakingnews #headlines #headline #newsblog #hindisamachar #latestnewsinhindi
Hindi news, हिंदी न्यूज़ , Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest News in Hindi, Breaking News in Hindi, ताजा ख़बरें
News & Image Source: newsonair.gov.in