त्रिपुरा के एक समुदाय को जनजातियों की सूची में शामिल करने के लिए लाया गया संशोधित संविधान आदेश विधेयक लोकसभा में पारित

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लोकसभा में अनुसूचित जनजाति संबंधी संशोधित संविधान आदेश विधेयक, 2022 पारित हो गया है। ये विधेयक त्रिपुरा राज्य के संबंध में अनुसूचित जनजातियों की सूची में एक समुदाय को शामिल करने के लिए अनुसूचित जनजाति संविधान आदेश, 1950 में संशोधन करने के प्रस्‍ताव से संबंधित है।

विधेयक में “डारलोंग” समुदाय को “कुकी” की उप-जनजाति के रूप में अनुसूचित जनजातियों की सूची में सम्मिलित करने का प्रस्ताव है। जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने सदन में विधेयक पेश करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार आदिवासी क्षेत्रों के विकास और आदिवासी समुदाय के कल्याण के लिए संकल्‍पबद्ध है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक त्रिपुरा में कुकी समुदाय की उप जनजाति के रूप में डारलोंग समुदाय को शामिल करने के उद्देश्‍य से लाया गया। उन्होंने कहा कि संशोधन प्रस्तावित है क्योंकि पहाड़ी क्षेत्र में एक ही समुदाय के लोग विभिन्न उप-जनजातियों के रूप में रहते आये हैं और लंबे समय से सूची से बाहर हैं।

बाद में लोकसभा में विधेयक पर एक बहस का जवाब देते हुए, जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि सरकार आदिवासी क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा है कि आदिवासी आबादी और आदिवासी क्षेत्र का कल्याण और विकास सुनिश्चित किए बिना राष्ट्र का विकास संभव नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजाति घटक – एसटीसी के तहत धन आवंटन में बराबर वृद्धि की गई है। उन्होंने सदन को बताया कि 2014-15 के दौरान जहां केवल 16 हजार 111 करोड़ रुपये का आवंटन था, वहीं 2021-22 में एसटीसी के तहत इसे बढ़ाकर 87 हजार 585 करोड़ रुपये कर दिया गया। गांवों में खराब नेटवर्क कनेक्टिविटी के बारे में सदस्यों को जवाब देते हुए, श्री मुंडा ने कहा कि आईटी मंत्रालय ने हाल ही में एसटी घटक के तहत सभी गांवों में ब्रॉडबैंड और 4 जी कनेक्टिविटी सक्षम बनाने के लिए लगभग 7 हजार करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एक योजना शुरू की है। उन्होंने कहा कि सरकार आदिवासी क्षेत्रों के एकीकृत विकास के उद्देश्य से आदि आदर्श ग्राम योजना लागू कर रही है जिसमें लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा और नल का पानी जैसी योजनाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। आदिवासी क्षेत्रों में शैक्षिक सुविधाओं की बात करते हुए जनजातीय मामलों के मंत्री ने कहा कि पहले 2014 में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों के संचालन के लिए केवल 278 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए थे और अब बजट को बढ़ाकर एक हजार 418 करोड़ रुपये कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि 2014 में ऐसे केवल 160 स्कूल चलाये जा रहे थे, और अब यह संख्या 365 हो गई है। उन्होंने सदन को यह भी बताया कि वित्त मंत्री ने अगले पांच साल में राज्य में ऐसे 7 सौ और स्कूलों की स्थापना के लिए लगभग 28 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया है।

चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के प्रद्युत बोर्दोलोई ने कहा कि जनजातीय दर्जे की मान्‍यता ही काफी नहीं है बल्कि एक ठोस नीति के तहत पर्याप्‍त धनराशि मुहैया कराना भी जरूरी है।

उन्‍होंने कहा कि जनजातीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने के उद्देश्‍य से पिछले साल बजट में 89 दशमलव पांच करोड़ रूपये का प्रावधान था जबकि इस इस साल ये केवल 11 दशमलव तीन करोड़ रह गया है।

भारतीय जनता पार्टी के तापिर गाओ ने कांग्रेस सांसद के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि जनजातीय समुदायों के कल्‍याण के लिए जो काम कांग्रेस नहीं कर पाई उसे मोदी सरकार पूरा करेगी। उन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा को दारलोंग समुदाय को जनजाति का दर्जा देने के लिए धन्‍यबाद दिया। त्रिपुरा की कुल आबादी में केवल दो दशमलव एक पांच प्रतिशत नागरिक इस समुदाय से हैं।

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