मीडिया सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के 31 मई के आसपास केरल पहुंचने का अनुमान है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बुधवार को यह जानकारी दी। आईएमडी ने कहा, इस साल दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के 31 मई को केरल पहुंचने का अनुमान है। आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बुधवार को कहा, “यह जल्दी नहीं है। यह सामान्य तारीख के करीब है क्योंकि केरल में मॉनसून की शुरुआत की सामान्य तारीख एक जून है।” आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 150 वर्षों में केरल में मॉनसून की शुरुआत की तारीख में व्यापक रूप से भिन्नता रही है, जिसके तहत राज्य में मॉनसून ने सबसे जल्दी 11 मई, 1918 को जबकि सबसे देरी से 18 जून, 1972 को दस्तक दी थी।
जानकारी के लिए बता दें कि, आंकड़ों के अनुसार, केरल में पिछले साल आठ जून को, 2022 में 29 मई को, 2021 में तीन जून को और 2020 में एक जून को मॉनसून की शुरुआत हुई थी। पिछले महीने, आईएमडी ने जून से सितंबर तक चलने वाले दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान सामान्य से अधिक बारिश होने का अनुमान जताया था। जून और जुलाई को कृषि के लिए सबसे महत्वपूर्ण मॉनसूनी महीना माना जाता है क्योंकि इस अवधि में खरीफ फसल की अधिकांश बुआई होती है। देश के कुछ हिस्सों ने अप्रैल में भीषण गर्मी का सामना किया, जिसमें अधिकतम तापमान ने कई राज्यों में रिकॉर्ड तोड़ दिए और स्वास्थ्य और आजीविका को गंभीर रूप से प्रभावित किया। भीषण गर्मी पावर ग्रिड पर दबाव डाल रही है और जल निकायों को सुखा रही है, जिससे देश के कुछ हिस्सों में सूखे जैसे हालात पैदा हो रहे हैं। इसलिए, सामान्य से अधिक मॉनसूनी बारिश की भविष्यवाणी देश के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आई है। भारत के कृषि क्षेत्र का 52 फीसदी मॉनसून पर निर्भर है। यह देशभर में बिजली में बिजली के उत्पादन के अलावा पीने के पानी के लिए महत्वपूर्ण जलायशों को फिर से भरने के लिए महत्वपूर्ण है।
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