मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नशीली दवाओं के दुरुपयोग के लगातार बढ़ते खतरे से निपटने के लिए एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली में माह भर के लिए नशा विरोधी अभियान चलाने की घोषणा की है। इसकी शुरुआत एक दिसंबर से होगी। एलजी की यह पहल अगले तीन वर्षों में दिल्ली को नशा मुक्त बनाने की बड़ी योजना का हिस्सा है। सक्सेना ने राज्य स्तरीय समिति नार्को कोऑर्डिनेशन सेंटर की नौवीं समीक्षा बैठक के दौरान इस बात को रेखांकित किया कि इसका एक सामाजिक पहलू युवाओं के स्वास्थ्य पर पड़ता प्रतिकूल प्रभाव है। साथ ही व्यापक अंतरराष्ट्रीय पहलू भी है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, नशीली दवाओं का उपयोग रणनीतिक रूप से भारत के युवाओं और देश को कमजोर करने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने दिल्ली पुलिस को अन्य संबंधित एजेंसियों के साथ मिलकर, मादक पदार्थों की तस्करी और खपत पर अंकुश लगाने के अपने प्रयासों को तेज करने का निर्देश दिया। अभियान में बहु-आयामी दृष्टिकोण शामिल होंगे। एलजी ने दिल्ली पुलिस और दूसरी सभी संबंधित एजेंसियों को इस एक महीने के अभियान के दौरान लगभग 200 होस्टलों, 50 कॉलेजों, 200 स्कूलों, 200 दवाओं की दुकानों, 500 पान की दुकानों, सभी शेल्टर होम्स, 200 बार और रेस्तरां, सभी रेलवे स्टेशनों, सभी आईएसबीटी और दूसरे सार्वजनिक स्थलों की गहनता से जांच करने और उन्हें साफ-सुथरा रखने का भी निर्देश दिया है। उन्होंने समाज कल्याण विभाग को भी इसमें शामिल कर शिक्षकों और अभिभावकों को एडवाइजरी भेजने के निर्देश दिए हैं। समाज कल्याण विभाग स्कूलों और अभिभावकों के साथ सक्रिय रूप से जुड़कर उन्हें नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरों के बारे में शिक्षित करेगा और उन्हें अपने बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए प्रोत्साहित करेगा। सक्सेना ने दिल्ली पुलिस से मुखबिरों की पहचान को गोपनीय रखते हुए व्यापक रूप से जागरूक करने और उनके लिए आकर्षक पुरस्कारों की घोषणा करने को कहा है। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि नशीली दवाओं और नशीले पदार्थों के उपयोग के हानिकारक प्रभावों के खिलाफ पूरी दिल्ली में, डीटीसी बसों में, ऑटो-रिक्शा और टैक्सियों पर नारे, पोस्टर और बैनर को प्रमुखता से लगाया जाएगा। दिल्ली को नशा मुक्त बनाने के लिए टेलीविजन, रेडियो, सोशल मीडिया और आउटडोर विज्ञापन सहित विभिन्न चैनलों के माध्यम से व्यापक जन जागरूकता अभियान शुरू किए जाएंगे। नशीली दवाओं के दुरुपयोग के हानिकारक प्रभावों के बारे में जनता को जागरूक करने के लिए शहर भर में और डीटीसी बसों और अन्य सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों में नारे, पोस्टर और बैनर प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाएंगे। इसके अलावा, फोरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल), दिल्ली के निदेशक को लंबित मामलों के निपटारे में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है, जो नशीली दवाओं से संबंधित अपराधों में अभियोजन में महत्वपूर्ण योगदान दे सकेंगे।
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