दिल्ली: कोरोना के समय अस्पतालों में हुई 200 करोड़ की गड़बड़ी, ACB ने 3 को किया गिरफ्तार

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दिल्ली: कोरोना के समय अस्पतालों में हुई 200 करोड़ की गड़बड़ी, ACB ने 3 को किया गिरफ्तार

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कोरोना महामारी के दौरान चिकित्सा व्यवस्था के नाम पर निर्माण में दिल्ली के अस्पतालों में हुए करोड़ों के घोटाले की परतें खुलने लगी है। भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने कोरोना महामारी के दौरान अस्पतालों में निर्माण के नाम पर हुए 200 करोड़ के घोटाला मामले में पीडब्ल्यूडी के एक पूर्व उच्चाधिकारी समेत दो फर्मों के मालिकों को गिरफ्तार किया है। इन लोगों ने मिलभगत कर एलएनजेपी, जीटीबी, बीएसए व जीबी पंत जैसे दिल्ली सरकार के नामी आठ अस्पतालों में गड़बड़िया कर, फर्जी बिल लगाकर निर्माण ठेके में 200 करोड़ रुपये का घोटाला किया। एसीबी मामले का मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही थी। गिरफ्तार किए गए अधिकारी का नाम अनिल कुमार आहूजा है, जो पीडब्ल्यूडी में तब मुख्य अभियंता स्वास्थ्य था और पीडब्ल्यूडी से अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) पद से सेवानिवृत्त हुआ है। जबकि एवी इंटरप्राइजेज का मालिक विनय कुमार व विवेक एसोसिएट्स से अक्षितिज बिरमानी को गिरफ्तार किया गया है। जांच में पता चला है कि इन दो फर्मों को कोराेना काल में दिल्ली सरकार के आठ अस्पतालों में विभिन्न कार्याें का ठेका आवंटित करने में सारे नियमों को ताक पर रख कर दिया गया। इसके बाद बिना काम किए रुपयाें का भुगतान भी कर दिया गया।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, एसीबी के संयुक्त आयुक्त मधुर वर्मा के अनुसार, जांच के दौरान, एसीबी द्वारा काेरोना महामारी के दौरान विभिन्न निजी फर्मों को दिए गए दिल्ली सरकार के अस्पतालों में विभिन्न कार्यों की व्यापक जांच की गई। इन निजी फर्मों के साथ मिलीभगत करके संबंधित पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की ओर से बड़े पैमाने पर अनियमितताएं और सरकारी धन का गबन पाया गया है। इसमें पाया गया कि पीडब्ल्यूडी के स्वास्थ्य सेवा के तत्कालीन मुख्य अभियंता अनिल कुमार आहूजा ने 10 फर्मों को दिए गए 56 कार्यों को बिना जांच पड़ताल के मंजूरी दी। इन कार्यों से संबंधित कई प्रमाणपत्र फाइल से गायब पाए गए। कार्य को निष्पादित करने के लिए खरीदी गई सामग्री के लिए ई-वे बिल (परिवहन बिल) भी नहीं मिली। फर्मों ने कार्य पूरा होने के चार-छह महीने बाद सामग्री खरीद के बिल जारी किए। खरीद वाउचर की जांच करने पर पता चला कि वाउचर जारी करने वाली कुछ कंपनियां और फर्म अस्तित्व में ही नहीं हैं। निविदा शर्तों और जीएसटी मानदंडों में भी अनियमितता पाई गई। अधिकारी ने बताया कि कुछ मामलों में स्पाट कोटेशन बुलाना, बोलियों की तुलना करना और निविदाएं प्रदान करने की प्रक्रिया को एक ही दिन में निपटा दिया गया। वह भी तब जब खासकर देश में लाकडाउन लगा था। अधिकारी ने बताया कि जांच में पता चला कि तत्कालीन मुख्य अभियंता अनिल कुमार आहूजा और मेसर्स एवी एंटरप्राइजेज के बीच लगभग 1.25 करोड़ रुपये का वित्तीय लेन-देन हुआ है। साथ ही एवी एंटरप्राइजेज ने अनिल कुमार आहूजा की बहू के खाते में पांच दिसंबर 2020 को छह लाख रुपये की राशि भी हस्तांतरित की थी। इस मामले में पूरी साजिश का पता लगाने और इसमें शामिल सभी सरकारी अधिकारियों और निजी फर्मों की भूमिका के लिए जांचने के लिए व्यापक जांच चल रही है। शेष दोषी पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के खिलाफ जांच के लिए एसीबी ने प्रस्ताव सक्षम प्राधिकारी को भेजा है।

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