मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, फर्जी वीजा रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए फर्जी वीजा स्टिकर और निवास कार्ड बनाने के आरोप में चाणक्य पुरी पुलिस थाने की टीम ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपी विभिन्न देशों के लिए फर्जी वीजा स्टिकर और अस्थायी निवास कार्ड तैयार करने में शामिल थे। उनके कब्जे से 25 पासपोर्ट (नेपाल, बांग्लादेश, भारत), 50 फर्जी वीजा स्टिकर (सर्बिया, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, ब्राजील, जर्मनी), 5 अस्थायी निवास कार्ड, 14 जाली मुहरें (दूतावास टिकट), एक लैपटाप, चार मोबाइल फोन और दो पेन ड्राइव जब्त किए गए। इन फर्जी दस्तावेजों को बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण, जिनमें यूवी लाइट मशीन, खाली स्टिकर पेपर, रबर स्टैंप और सील भी जब्त किए गए हैं।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, नई दिल्ली जिले के उपायुक्त देवेश मेहला के मुताबिक, 16 दिसंबर को लखवीर सिंह ने चाणक्य पुरी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी कि वह और उसके चार दोस्त (अर्शदीप सिंह, गगनदीप सिंह, राजदीप सिंह और छिंदा सिंह) इंस्टाग्राम के जरिए रणवीर नाम के एक व्यक्ति से मिले, जिसने आठ लाख रुपये प्रति व्यक्ति उनके लिए जर्मन वीजा दिलाने की बात कही। रणवीर ने उन्हें परमजीत सिंह नामक व्यक्ति का मैक्सिकन व्हाट्सएप संपर्क नंबर दिया। इसी वर्ष अगस्त में वे परमजीत सिंह से मिले, जिसने उनके मूल पासपोर्ट और प्रति व्यक्ति 20 हजार रुपये का टोकन भुगतान लिया। इसके बाद, उन्होंने दस्तावेजीकरण और औपचारिकताओं के लिए परमजीत सिंह को प्रति व्यक्ति एक लाख रुपये की एक और किस्त का भुगतान किया, जो कुल मिलाकर 6 लाख रुपये था। एक दिसंबर को, परमजीत सिंह ने उन्हें राजदीप सिंह के वीजा की एक फोटोकापी भेजी, जिसमें बताया गया कि एक वीजा मिल गया है और बाकी जल्द ही मिल जाएंगे। हालांकि, जब शिकायतकर्ता ने वीजा की पुष्टि कराई तो पता चला कि यह नकली था। 16 दिसंबर को परमजीत सिंह ने आवेदकों से उनके जर्मन वीजा लेने और शेष राशि का भुगतान करने के लिए मिलने के लिए बुलाया। उसी दिन, लखवीर सिंह ने चाणक्य पुरी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद परमजीत सिंह को नई दिल्ली के चाणक्य पुरी में कुवैत दूतावास के पास से गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के बाद उसके पास से पांच वीजा स्टिकर, पांच जर्मन अस्थायी निवास कार्ड, पांच आवेदकों के पासपोर्ट और जर्मन दूतावास की एक रबर स्टैंप बरामद की गई। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। गिरोह के अन्य सदस्यों को पकड़ने के लिए टीम गठित की गई। शुरुआती जांच में पता चला कि परमजीत सिंह पहले भी इसी तरह के मामलों में शामिल रहा है। उसने गुरुद्वारा बंगला साहिब में अज्ञात आटो रिक्शा चालक से नकली वीजा स्टिकर भिजवाने का दावा किया और केवल तंजानिया के व्हाट्सएप नंबर के माध्यम से आपूर्तिकर्ताओं से संवाद किया। टीम ने क्षेत्र के सीसीटीवी फुटेज खंगाल ऑटो रिक्शा चालक को पकड़ा, जिसने रानी बाग के महिंदर पार्क चौक से एक स्कूटी पर दो अज्ञात व्यक्तियों से पार्सल लेकर गुरुद्वारा बंगला साहिब में डिलीवरी के लिए भेजा गया था। रानी बाग के सीसीटीवी फुटेज में स्कूटी और उसके सवार की पहचान तजिंदर सिंह के रूप में हुई। टीम के 21 दिसंबर को उसे गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने सुनील कुमार सूद नामक व्यक्ति का नाम बताया, जो 10 हजार रुपये में नकली वीजा मुहैया कराता था। उसी दिन, सुनील कुमार सूद को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसने बताया कि उदय पाल सिंह नकली वीजा मुहैया कराता है और उसे बनाने के लिए एक सेटअप संचालित करता है। खुफिया जानकारी के आधार पर उदय पाल सिंह को नकली वीजा स्टिकर वितरित करते हुए तिलक नगर में गिरफ्तार किया गया। लैपटॉप और पेन ड्राइव की जांच से नकली वीजा स्टिकर से संबंधित 8.5 जीबी डेटा का पता चला, जिससे जानकारी मिली कि गिरोह ने देश भर में कई व्यक्तियों को ठगा है और इसी तरह के अन्य मामलों में शामिल रहे हैं।
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