धार्मिक आयोजन और पर्यावरण-संरक्षण के प्रति सामाजिक जिम्मेदारी का पर्व है गोवर्धन पूजा: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

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Image Source: Social Media

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आज मुख्यमंत्री मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि गोवर्धन पूजा, धार्मिक आयोजन ही नहीं बल्कि पर्यावरण-संरक्षण, कृषि और पशुधन के प्रति समाज की जिम्मेदारी का भी पर्व हैं। गोवर्धन पूजा के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं के प्रति श्रद्धा और कृषि से जुड़ी परंपराओं को बनाए रखने का संदेश भी जाता है। इससे स्थानीय समुदाय को एकजुट होकर अपनी परंपराओं को जीवित रखने की प्रेरणा मिलती है। इसे दृष्टिगत रखते हुए हमने इस वर्ष गौवर्धन पूजा को वृहद पैमाने पर पूरे प्रदेश में सरकार की सहभागिता के साथ मनाने का निर्णय लिया है।

गौ-संवर्धन के प्रमुख पहलू

  • 2500 गौ-शालाओं में 4 लाख से अधिक गौ-वंश का पालन।

  • गौ-वंश के बेहतर आहार के लिये प्रति गौ-वंश मिलने वाली 20 रूपये की राशि बढ़ाकर 40 रूपये करने का निर्णय।
  • घायल गायों के लिये हाइड्रोलिक कैटल लिफ्टिंग वाहन की व्यवस्था।

  • दुग्ध उत्पादन को बढ़ाना देने म.प्र. सरकार और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के बीच एमओयू।

  • ग्वालियर स्थित आदर्श गौ-शाला में देश के पहले 100 टन क्षमता वाले सीएनजी प्लांट की स्थापना।

  • दुग्ध उत्पादन और ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देने प्रदेश के हर ब्लॉक में एक गाँव बनेगा वृंदावन गांव।

  • देश में सर्वाधिक 15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती करने वाले मध्यप्रदेश में गौ-वंश को प्रोत्साहन देन की पहल से जैविक उत्पादन बढ़ाने का प्रयास।

 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गोवर्धन पूजा, पर्यावरण और पशुधन-संरक्षण का भी संदेश देता है, जो कृषि और आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से हम प्रकृति और पशुधन के महत्व को नई पीढ़ी तक पहुंचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि गोवर्धन पूजा का उद्देश्य न केवल धार्मिक बल्कि आर्थिक और पारिस्थितिकीय महत्व से भी जन-जन को अवगत करना है, जो एक सतत और समर्थ ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में सहायक है।

 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गाय को भारतीय संस्कृति में “गौ-माता” का दर्जा दिया गया है। विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों और त्यौहारों में गाय का पूजन होता है। यह भारतीय समाज में गहरी धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी हुई है। लम्बे समय से हर घर में गाय पालने की परंपरा रही है, जिससे ग्रामीण समाज में एकता, सामंजस्य और सहयोग की भावना प्रबल होती थी। मध्यप्रदेश में किसानों एवं पशुपालकों को लाभान्वित करने के लिये सरकार निजी और शासकीय दोनो तरह की गौशालाओं को प्रोत्साहित कर सहयोग कर रही हैं।

 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि शास्त्रों में भी बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती है जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी माना गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ-माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। गौवंश सम्पूर्ण मानव जाति के लिए पूजनीय और आदरणीय है। यह पर्व भारतीय जनमानस को उनकी जड़ों से जोड़े रखता है और प्रकृति के प्रति सम्मान की भावना को प्रदर्शित करता है। यह हमारी संस्कृति और परंपरा के संवर्धन का प्रतीक भी है।

 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गौवंश संरक्षण समाज में सांस्कृतिक मूल्यों का प्रसारक है और इसकी सेवा से समाज में करुणा, संवेदनशीलता और एकजुटता की भावना बढ़ती है। गौ-माता हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक चेतना की स्रोत भी हैं। गौ-माता की सेवा, सम्मान एवं संवर्धन के लिए मध्यप्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है। पशुपालन से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ते रहे हैं। दूध और उससे बने उत्पादों को बेचकर ग्रामीणों को हमेशा आय का स्त्रोत मिलता रहा है। भारत दुग्ध उत्पादन के मामले में विश्व में शीर्ष स्थान पर है और इस सफलता में गोवंश का महत्वपूर्ण योगदान है। देश में दुग्ध उत्पादन, अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा है और लाखों ग्रामीण परिवारों की आजीविका का साधन भी है।

 

दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश देश में तीसरे स्थान पर

 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश, देश के कुल दुग्ध उत्पादन का 9 से 10 प्रतिशत उत्पादन करते हुए देश में तीसरे स्थान पर है। प्रदेश के अनेक ग्रामों में किसान भाइयों को पशुपालन और दुग्ध उत्पादन के लिए सुविधाएं प्रदान कर प्रदेश को देश में अग्रणी बनाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रदेश में प्रतिदिन साढ़े पांच करोड़ लीटर दुग्ध उत्पादन हो रहा है। प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता के मामले में मध्यप्रदेश की स्थिति राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। जहां देश में प्रति व्यक्ति 459 ग्राम प्रतिदिन दूध की उपलब्धता है वहीं मध्यप्रदेश में यह 644 ग्राम है। अगले पांच वर्ष में प्रदेश का दुग्ध उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य है। इस दिशा में लगभग 40 हजार ग्रामों में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के कार्य शुरू हो चुका है। अब दुग्ध उत्पादन लाखों ग्रामीणों के लिए रोजगार का स्त्रोत बन गया है। इस कार्या में विशेष रूप से महिलाओं की भी अग्रणी भूमिका है।

 

गौ-संवर्धन से न केवल रोजगार सृजन होता है, बल्कि यह समाज की सांस्कृतिक जड़ों को भी मजबूती प्रदान करता है और एक स्वस्थ एवं स्थिर समाज का निर्माण करने में योगदान देता है।

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News Source: mpinfo.org

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