नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के उपाध्यक्ष बने कुलजीत चहल

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नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के उपाध्यक्ष बने कुलजीत चहल

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अगस्त में खत्म हुए नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) के कार्यकाल के बाद नए चेयरमैन के साथ ही चार गैर अधिकारिक सदस्यों की नियुक्ति हो गई है। केंद्रीय गृहमंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, अंडमान निकोबार दीप समूह से स्थानांतरित होकर आए आईएएस केशव चंद्रा को चेयरमैन नियुक्त कर दिया गया है तो वहीं, पिछले कार्यकाल में सदस्य रहे कुलजीत चहल को पदोन्नत करते हुए उन्हें उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष दिनेश प्रताप सिंह, महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष सरिता तोमर के साथ ही सामाजिक समरसता मंच में वाल्मिकी समाज के प्रमुख के तौर पर काम कर रहे अनिल वाल्मिकी को सदस्य बनाया गया है।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कुलजीत चहल की पदोन्नति के पीछे काउंसिल की बैठक में जनहित के मुद्दे उठाने के साथ ही पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को चुनौती देना कारण बताया जा रहा है। चहल ने काउंसिल की बैठक में कई बार ऐसी स्थिति पैदा कर दी थी कि सीएम रहते हुए भी केजरीवाल को बैठक छोड़कर जाना पड़ा था। 4500 से अधिक अस्थायी कर्मियों को केंद्रीय गृह मंत्रालय से नियमित कराने से लेकर एनडीएमसी के स्कूलों में खेल सुविधाएं विकसित करने के साथ ही परीक्षा परिणाम में हुई बढोत्तरी को भी पदोन्नति का कारण माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि 17 सितंबर को एनडीएमसी के सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो गया था। नए सिरे से काउंसिल का गठन किया गया था, लेकिन चेयरमैन और चार गैर अधिकारिक सदस्यों के नाम की घोषणा नहीं हुई थी। अब चेयरमैन समेत चार सदस्यों की घोषणा से काउंसिल के गठन की प्रक्रिया पूरी हो गई है।ऐसे में जल्द ही सभी सदस्यों के शपथग्रहण के साथ ही काउंसिल की बैठक होने का रास्ता खुल जाएगा। एलजी वीके सक्सेना चेयरमैन समेत दूसरे सदस्यों को जल्द ही शपथ दिला सकते हैं। नई दिल्ली नगरपालिका परिषद की नई काउंसिल का गठन होने से कई चुनौतियां भी है। क्योंकि लुटियंस दिल्ली जहां संसद से लेकर राष्ट्रपति भवन और तमाम देश के दूतावास है। ऐसे में यहां की सुविधाएं उच्चस्तरीय रखने की कोशिश हमेशा एनडीएमसी की होती है। एनडीएमसी की पार्किंग की व्यवस्था की स्थिति बहुत खराब हो गई है़। साथ ही लंबे समय से इन पार्किंग की निविदा करने में भी एनडीएमसी को सफलता नहीं मिली है। इतना ही नहीं शिवाजी बस टर्मिनल के पुनर्विकास का प्रस्ताव भी काफी समय से लंबित है। लास्ट माइल कनेक्टीविटी के लिए एनडीएमसी के पास कोई योजना फिलहाल नहीं है। जबकि पहले ई-बाईक चलाने की योजना थी जो कि सिरे ही नहीं चढ़ पाई। ऐसे में इन परियोजनाओं पर कार्य कराना एनडीएमसी की नई काउंसिल के लिए चुनौतीभरा होगा।

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