नाबार्ड के उद्देश्यों की पूर्ति तभी होगी जब एक-एक पाई ग्रामीण विकास एवं कृषि क्षेत्र में फाइनेंस व रिफाइनेंस हो – अमित शाह

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आज केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में कृषि व ग्रामीण विकास बैंकों का अहम योगदान है। उन्होंने आज NAFCARD द्वारा आयोजित ARDBs के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा है कि, “नाबार्ड के उद्देश्यों की पूर्ति तभी हो सकती है जब एक-एक पाई जो उपलब्ध है वो ग्रामीण विकास और कृषि के क्षेत्र में ही फाइनेंस व रिफाइनेंस हो। और यह तब तक संभव नहीं हो सकता जब तक कृषि क्षेत्र के अंदर long term finance, इन्फ्रास्ट्रक्चर व माइक्रो इरिगेशन को हम बढ़ावा नहीं देते। कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक सिर्फ बैंकिंग करने की दृष्टि से काम न करें बल्कि बैंक जिस उद्देश्यों से बने थे उनकी प्रतिपूर्ति की दिशा में काम करना हमारा लक्ष्य होना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि, ”आप सिर्फ बैंकिंग तक सीमित न रहें…खेती के विस्तार, उपज बढ़ाने, कृषि को सुगम व किसान को समृद्ध बनाने के लिए गाँव-गाँव में किसानों के साथ संवाद कर उन्हें जागरूक बनाना भी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों की जिम्मेदारी है। 9 दशक पहले जब कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों की शुरुआत हुई तब देश की कृषि प्रकृति व भाग्य पर आधारित थी, उसे भाग्य से परिश्रम के आधार पर परिवर्तित करने का काम हमारे कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों ने किया है। आज इस सम्मेलन में आए सभी बैंकों के सदस्य इस क्षेत्र की best practices पर भी चर्चा करें…व्यापार में बैंकिंग के अंदर नई विविधता लाने के लिए अगर किसी सुधार या बदलाव की जरूरत है तो सहकारिता मंत्रालय के द्वार आपके लिए 24×7 खुले हैं।”

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि, “अनेक बैंकों ने नए-नए रिफॉर्म्स किये मगर वो रिफॉर्म्स बैंकों तक ही सीमित रह गए, उनका लाभ पूरे सेक्टर को नहीं मिला…बैंक स्पेसिफिक रिफॉर्म्स इस सेक्टर को नहीं बदल सकते। अगर सेक्टर में रिफॉर्म्स आयेंगे तो सहकारिता अपने आप मजबूत हो जाएगी। सहकारी क्षेत्र का कोई भी यूनिफाइड डेटाबेस नहीं है, और जब तक डेटाबेस नहीं होगा आप इस क्षेत्र के विस्तार के बारे में नहीं सोच सकते हैं। विस्तार तभी हो सकता है जब आप जानते हो कि विस्तार कहाँ करना है। सहकारिता मंत्रालय ने सहकारी क्षेत्र का डेटाबेस बनाने का काम शुरू कर दिया है।”

उन्होंने आगे कहा कि, “आजादी के बाद से 70 साल में 64 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य बनी, परन्तु  प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 8 साल में 64 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में वृद्धि हुई, कृषि का निर्यात पहली बार 50 बिलियन डॉलर को पार कर गया है। यह किसान कल्याण के प्रति मोदी सरकार की निष्ठा को दर्शाता है।”

News & Image Source : (Twitter) @AmitShah

 

 

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