नेकां विधायक की शिकायत पर पीडीपी के वहीद पारा को विशेषाधिकार हनन नोटिस, जवाब देने के लिए 7 दिन का समय

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नेकां विधायक की शिकायत पर पीडीपी के वहीद पारा को विशेषाधिकार हनन नोटिस, जवाब देने के लिए 7 दिन का समय

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जम्मू कश्मीर विधानसभा ने पीडीपी के विधायक दल के नेता वहीद उर रहमान पारा को विशेषाधिकार हनन का नोटिस भेजा है। उन्हें सात दिन में अपनी स्थिति स्पष्ट करने और पक्ष रखने को कहा गया है। पीडीपी नेता ने नोटिस मिलने पर कहा कि सत्ताधारी दल अपने विरोधियों को चुप कराना चाहता है ताकि कोई उससे सवाल न कर सके। विधानसभा के सचिव काजी मुश्ताक अहमद ने पारा को नोटिस भेजे जाने की पुष्टि की है। विधानसभा स्पीकर अब्दुल रहीम राथर की तरफ से भेजे गए इस नोटिस में सूचित किया गया है कि उन पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक नजीर अहमद खान गुरेजी ने विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाया है। इस संबंध में नजीर की तरफ से स्पीकर को पत्र लिखा गया था। इसके मुताबिक नेकां विधायक ने आरोप लगाया कि पारा ने आठ नवंबर 2024 को विधानसभा में उपराज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर अपने भाषण में उन पर बेबुनियाद आरोप लगाए और अपमानजनक टिप्पणी की है।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पीडीपी विधायक पारा ने दैनिक जागरण के साथ फोन पर बातचीत में कहा कि विधानसभा में जब उपराज्यपाल के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हो रही थी तो उस समय नेकां के एक विधायक ने पीडीपी के दिवंगत नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद और जमात-ए-इस्लामी को लेकर कुछ बेबुनियाद और आपत्तिनक टिप्पणियां की थीं। उन्होंने कहा कि मैंने इन टिप्पणियों का जवाब दिया था। मसला इन टिप्पणियों का नहीं है, सत्ताधारी दल को पता है कि हम अनुच्छेद 370 की पुनर्बहाली के मुद्दे पर उसके दोगले रवैये को उजागर करते रहेंगे, इसलिए सरकार हमें चुप कराना चाहती है। पारा ने कहा कि स्पीकर की तरफ से भेजा गया नोटिस सिर्फ जम्मू कश्मीर में विपक्ष को चुप कराने का एक प्रयास है। उन्होंने कहा कि नेकां ने लोगों से उनकी उम्मीदों और आकांक्षाओं को पूरा करने और अनुच्छेद 370 की पुनर्बहाली के लिए वोट मांगे थे, लेकिन सत्तासीन होने के बाद नेकां ने कुछ भी नहीं किया। पीडीपी विधायक ने कहा कि सिर्फ दिखावे के नाम पर विशेष दर्जा बहाली का एक अस्पष्ट प्रस्ताव जरूर लाया। जब हमने अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ प्रस्ताव लाया तो उन्होंने इसे पारित नहीं होने दिया। अब वह इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालना चाहते हैं। वह किसी को भी इस विषय में आवाज नहीं उठाने देना चाहते।

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