मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नॉर्वे, आयरलैंड और स्पेन ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए बुधवार को फलस्तीन को देश के तौर पर मान्यता दे दिया। इसकी इस्राइल ने कड़ी आलोचना की है जबकि फलस्तीन ने खुशी जताई है। इस्राइल ने नॉर्वे व आयरलैंड से अपने राजदूतों को वापस बुलाने का आदेश दिया है। इस्राइल के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इस कदम के गंभीर नतीजे होंगे। इससे तनाव बढ़ गया है। सबसे पहले नॉर्वे ने मान्यता देने के फैसले की घोषणा की। नॉर्वे के पीएण जोनस गार स्तूर ने कहा, यदि मान्यता नहीं दी गई तो पश्चिम एशिया में शांति नहीं हो सकती। नॉर्वे 28 मई तक फलस्तीन को देश के तौर पर मान्यता दे देगा। यूरोपीय संघ के कई देशों ने पिछले दिनों संकेत दिया है कि वे मान्यता देने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि क्षेत्र में शांति के लिए द्वि-राष्ट्र समाधान जरूरी है।
जानकारी के लिए बता दें कि,नई दिल्ली में आयोजित इस्राइली राष्ट्रीय दिवस समारोह में भारत में इस्राइली दूत नाओर गिलोन ने कहा, गाजा अभियान पर बढ़ती आलोचना के बीच भारत के अटूट समर्थन को हम कभी नहीं भूलेंगे। यहां हमें जितना समर्थन मिला, वह किसी आश्चर्य से कम नहीं है। भारत का आभार। भारत के विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा, हम इस्राइल की आजादी के एक और वर्ष को मना रहे हैं, लेकिन हमारा दिल हाल की घटनाओं के बोझ से भारी है। भारत खुद सीमा पार आतंकवाद का शिकार है। हमारी संवेदनाएं बंधकों के साथ हैं।
Image Source : The Indian Express
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