मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, रेल डिब्बा कारखाना कपूरथला के गेट नंबर तीन के सामने प्रवासी मजदूरों द्वारा आबाद की गई झुग्गी-झोपड़ियों में वीरवार देर रात अचानक आग लगी गई, जिसने देखते ही देखते विकराल रूप धारण कर लिया। इस की वजह से अफरा-तफरी बच गई। किसी झुग्गी के आंगन से निकली चिंगारी ने देखते ही देखते सैंकड़ों झुग्गियों को अपनी चपेट में ले लिया। कपूरथला, सुल्तानपुर लोधी, करतारपुर, भुलत्थ एवं आरसीएफ की करीब पांच गाड़ियों को आग पर काबू पाने के लिए दो ढाई घंटे तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। आग से 70-72 झुग्गियां पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है। इस आग की वजह से भले ही किसी के कोई जानी नुकसान की सूचना नहीं मिली पर त्रासदी यह है कि गरीब प्रवासी मजदूरों के आशियाने बेकाबू हुई आग की चपेट में आने से राख हो गए। भले ही झुग्गी-झोपड़ियों को आग लगने के कारण का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला परंतु आरसीएफ व कपूरथला के दमकल विभाग की टीम ने चुस्ती व फुर्ती दिखाते हुए तुरंत फायर बिग्रेड की गाड़ियों को लेकर घटना स्थल पर पहुंच गई और आग पर काबू पाना शुरु कर दिया।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, फायर अफसर हरजोत सिंह के अनुसार विभाग की तरफ से पांच गाड़ियों को करीब तीन बार पानी से भर पर लाना पड़ा और तब जाकर आग बुझ सकी। इस आग से 70-72 झुगियां पूरी तरह जलकर राख हो गई, जिसमें पड़ा तमाम कीमती सामान भी आग की भेंट चढ़ गया। उन्होंने बताया कि आग इतनी भयंकर थी कि आग पर काबू पाने के लिए दमकल विभाग कपूरथला और सुल्तानपुर लोधी के अलावा भुलत्थ, करतारपुर व आरसीएफ की टीमों का सहयोग भी लेना पड़ा। दमकल विभाग की टीम द्वारा काफी हद तक आग पर काबू पा लिया गया था। आग लगने की घटित घटना की सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची भुलाणा पुलिस चौकी के अधिकारी व कमर्चारी भी मौके पर पहुंच गए, जिनकी तरफ से ट्रैफिक को सचारू ढंग से चलाने के अलावा आग पर काबू पाने में भी मदद की गई। आग पर काबू पाने के लिए आर.सी.एफ. की समाज सेवी संस्थाओं के पदाधिकारियों के अलावा आसपास के गांवों की ग्राम पंचायतें, समाज सेवी कमेटियों द्वारा भी पुलिस प्रशासन का पूर्ण सहयोग दिया गया। अचानक लगी आग की चपेट में आई झुग्गी-झोपड़ियों में बसने वाली पूनम, रेखा रानी, दीक्षा, शंभु यादव एवं तोशी कुमारी आदि ने नम आंखों से बताया कि बहुत ही मेहनत से उन्होंने सर्दी के मौसम से पहले अपनी झुग्गियां बनाई थी, परंतु प्राकृति ने ऐसी मार मारी है कि वह अब घर से बेघर हो गए हैं। उन्होंने बताया कि घर में पड़ा राशन, घरेलू साज-सामान और उनकी मेहनत के पैसे भी झुग्गियां जलने के साथ जल गए हैं। उन्होंने कहा कि अब समझ नहीं आ रहा है कि वह अब अपनी झुग्गियां दोबारा कैसे बनाएंगे और अपने खाने-पीने का गुजारा कैसे करेंगे।
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