पांच वर्ष के अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा आयोजित करने की तैयारी कर रही है सिक्किम सरकार

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Image Source: Social Media

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सिक्किम सरकार पांच वर्ष के अंतराल के बाद भगवान शिव के निवास-स्थान, कैलाश मानसरोवर यात्रा आयोजित करने की तैयारी कर रही है। यह यात्रा 15 जून से तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे के गंगटोक पहुंचने के साथ आरंभ होगी।

राज्‍य सरकार के पर्यटन और नागरिक उड्डयन विभाग के अपर मुख्य सचिव सी.एस. राव ने बताया कि कैलाश मानसरोवर यात्रा गंगटोक से आरंभ होगी और कैलाश- मानसरोवर तक पहुंचने के लिए चीन के क्षेत्र को पार करने से पहले नाथूला तक जाएगी। सुगम यात्रा के लिए गंगटोक और नाथूला के बीच अनुकूलन केंद्र स्थापित किए गए हैं। यह यात्रा लगभग 20-21 दिन में पूरी होने की संभावना है।

कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए यात्रियों को 11 जून, 2025 को दिल्ली में उपस्थिति दर्ज करानी होगी। यात्रा शुरू होने से पहले उन्हें चिकित्सा जांच और आवश्यक परमिट तथा मंजूरी लेनी होगी। यात्रा 10 जत्थों में की जाएगी जिनमें प्रत्येक जत्थे में 48 यात्री होंगे।

उनके साथ दो संपर्क अधिकारी, रसोइया और सहायक कर्मचारी होंगे। सिक्किम सरकार यात्रियों के लिए पर्याप्त व्यवस्था करेगी। इसमें गंगटोक में व्यापक यात्रा-पूर्व कार्यक्रम होगा जिसमें योग कक्षाएं, प्रात: व्यायाम और ध्यान कार्यक्रम शामिल हैं।

यात्रियों को मार्ग और यात्रा कार्यक्रम की जानकारी देने के लिए पर्यटन विकास विभाग ब्रीफिंग सत्र आयोजित करेगा जिसमें यात्रियों के सभी प्रश्नों और चिंता का भी समाधान किया जाएगा।

सिक्किम सरकार मार्ग के विभिन्न स्थानों पर आवास, भोजन, चिकित्सा सुविधा और आपातकालीन सेवाओं की आवश्यक व्यवस्था करेगी। कैलाश मानसरोवर यात्रा साहसिक यात्रा है जिसमें सावधानीपूर्वक योजना और तैयारी की आवश्यकता होती है।

सिक्किम के पर्यटन और नागरिक उड्डयन अपर मुख्य सचिव राव ने व्यापक सहायता और प्रचालन के लिए सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के साथ समन्वय की जानकारी दी जिसमें यात्रियों को अपने परिवारों को सूचित रखने के लिए प्रमुख स्थानों पर हॉटलाइन की व्यवस्था भी की गई है।

श्री राव ने कहा कि सिक्किम की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति और जलवायु उसे कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए आदर्श स्थल बनाती है। 7 हजार 96 वर्ग किलोमीटर में फैले सिक्किम में छोटे आकार के बावजूद छह प्रकार की विशिष्ट वनस्पतियां हैं और 300 मीटर से लेकर 8586 मीटर की पर्वत माला है जो कंचनजंगा पर्वत पर समाप्त होती है। गंगटोक से नाथुला तक मात्र 49 किलोमीटर की दूरी में यात्रियों को तीन-चार अलग-अलग वनस्पतियों का अनुभव मिल सकेगा।

यात्रियों का स्वागत करते हुए श्री राव ने उन्हें आवश्यक ऊनी कपड़े और नियमित दवाइयां साथ लाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सामान्य दवाइयां तो उपलब्ध रहेंगी पर कुछ खास दवाइयां शायद न रहें। उन्होंने कहा कि सिक्किम सरकार ने यात्रियों की सुरक्षा और देखभाल के लिए हर तरह की मदद की वचनबद्धता व्यक्त की है।

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News &Source: newsonair.gov.in

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