मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज इथोपिया की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। यह प्रधानमंत्री के लिए एक विशेष सम्मान था, जो इथोपिया की अपनी पहली द्विपक्षीय यात्रा पर हैं। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत भारत के लोगों की ओर से इथोपिया के सांसदों को दोस्ती और सद्भावना की शुभकामनाएं देकर की। उन्होंने कहा कि संसद को संबोधित करना और लोकतंत्र के इस मंदिर के जरिए इथोपिया के आम लोगों, किसानों, उद्यमियों, गर्वित महिलाओं और युवाओं से बात करना उनके लिए सौभाग्य की बात है, जो देश के भविष्य को आकार दे रहे हैं। उन्होंने इथोपिया के लोगों और सरकार को उन्हें सर्वोच्च सम्मान यानी ग्रेट ऑनर निशान ऑफ इथोपिया देने के लिए धन्यवाद दिया। संबंधों के महत्व को देखते हुए, प्रधानमंत्री ने गहरी संतुष्टि व्यक्त करते हुए कहा कि इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच पुराने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में बदला गया है। भारत और इथोपिया के बीच सभ्यतागत संबंधों को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देश प्राचीन ज्ञान को आधुनिक महत्वाकांक्षा के साथ जोड़ते हैं। इस संदर्भ में, उन्होंने कहा कि भारत का राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम और इथोपिया का राष्ट्र गान दोनों अपनी भूमि को माता के रूप में संबोधित करते हैं। प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के साझा संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा कि 1941 में इथोपिया की मुक्ति हेतु भारतीय सैनिकों ने वहां के सैनिकों के साथ मिलकर लड़ाई में अपना योगदान दिया था। उन्होंने कहा कि इथोपिया के लोगों के बलिदानों का प्रतीक अदवा विजय स्मारक को श्रद्धांजलि देना उनके लिए सम्मान की बात है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पीएम मोदी ने भारत-इथोपिया साझेदारी को बढ़ाने और मजबूत बनाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता जताई। इस संबंध में, उन्होंने इथोपिया के विकास और समृद्धि में भारतीय शिक्षकों और भारतीय व्यापारियों के योगदान को याद किया। उन्होंने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, खाद्य प्रसंस्करण और नवाचार सहित भारत के विकास के अनुभवों को साझा किया और इथोपिया की प्राथमिकताओं के अनुसार उसे विकास संबंधी सहायता जारी रखने के लिए भारत की तत्परता व्यक्त की। “वसुधैव कुटुंबकम” [पूरी दुनिया एक परिवारहै] के सिद्धांत में निहित मानवता की सेवा करने की भारत की प्रतिबद्धता को व्यक्त करते हुए, उन्होंने बताया कि कोविड महामारी के दौरान इथोपिया को वैक्सीन की आपूर्ति करना भारत के लिए सौभाग्य की बात थी। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि विकासशील देशों के तौर पर भारत और इथोपिया को विकासशील देशों की आवाज को मजबूत करने के लिए एक साथ खड़ा होना चाहिए। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को मजबूत करने में एकजुटता दिखाने के लिए इथोपिया को धन्यवाद दिया। अफ्रीकी एकता के सपनों को साकार करने में अफ्रीकी संघ के मुख्यालय, अदीस अबाबा की अहम भूमिका पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को अपनी अध्यक्षता के दौरान जी20 में अफ्रीकी संघ का स्थायी सदस्य के तौर पर स्वागत करते हुए गर्व महसूस हुआ। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के 11 सालों में भारत-अफ्रीका संबंध कई गुना बढ़े हैं और दोनों पक्षों के राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के प्रमुखों के स्तर पर 100 से अधिक दौरे हुए हैं। उन्होंने अफ्रीका के विकास के प्रति भारत की गहरी प्रतिबद्धता पर बात करते हुए जोहान्सबर्ग जी-20 शिखर सम्मेलन में महाद्वीप में दस लाख प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए “अफ्रीका स्किल्स मल्टीप्लायर इनिशिएटिव” शुरू करने के अपने प्रस्ताव पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने एक साथी लोकतांत्रिक देश के साथ भारत की यात्रा साझा करने का मौका देने के लिए माननीय स्पीकर को धन्यवाद देते हुए कहा कि विकासशील देश अपना भविष्य खुद लिख रहे हैं।
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