मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस में एआई शिखर सम्मेलन में, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस-एआई के परिवर्तनकारी प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए इसे वर्तमान सदी में मानवता के लिए कोड लिखने वाली एक निर्णायक शक्ति बताया है। प्रधानमंत्री ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉ के साथ शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि एआई किसी भी पिछली महत्वपूर्ण तकनीकी उपलब्धि के विपरीत है, जिसके लिए शासन के लिए वैश्विक, दायित्वपूर्ण और समावेशी दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और कृषि में क्रांति लाकर, सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रगति को तेज और अधिक प्रभावी बनाकर लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए एआई की क्षमता को रेखांकित किया। उन्होंने प्रौद्योगिकी को लोकतांत्रिक बनाने, जन-केंद्रित अनुप्रयोग बनाने और विशेष रूप से ग्लोबल साउथ में सभी को यांत्रिक मेधा के लाभ सुनिश्चित करने के महत्व पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने एआई अपनाने में भारत के नेतृत्व को प्रदर्शित करते हुए, देश के डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना-डीपीआई की भी चर्चा की। डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना ने शासन को आधुनिक बनाया है और न्यूनतम लागत पर एक अरब 40 करोड़ लोगों के जीवन को बेहतर बनाया है। उन्होंने भारत के डेटा सशक्तिकरण और संरक्षण वास्तुकला पर प्रकाश डाला। इसने डिजिटल वाणिज्य को लोकतांत्रिक और सुलभ बनाते हुए डेटा की शक्ति को प्रदर्शित किया है। उन्होंने कहा कि यह भारत के राष्ट्रीय एआई मिशन की नींव है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री ने समावेशिता पर बल देते हुए जनता के कल्याण के लिए एआई विकसित करने की भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा एआई प्रतिभा समूह है और यह अपनी विविध भाषाई और सांस्कृतिक आवश्यकताओं के अनुरूप अपना विशाल भाषा मॉडल बना रहा है। उन्होंने एआई बुनियादी ढांचे के लिए भारत के सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने स्थिरता के बारे में एआई की बड़ी ऊर्जा आवश्यकताओं को हरित और कुशल एआई मॉडल की जरूरत के साथ जोड़ा। यह भारत और फ्रांस के सफल अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के साथ समानताएं दर्शाता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि एआई विकास को नवाचार को आगे बढ़ाते हुए संसाधन उपयोग को अनुकूलित करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि एआई के भविष्य की कुंजी मशीनें नहीं, बल्कि इंसान हैं। उन्होंने वैश्विक नेताओं से एआई विकास को दायित्व के साथ आकार देने का आह्वान किया।
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