मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पुणे पोर्श केस में पुणे की अदालत ने नाबालिग के पिता और दादा को जमानत दे दी है। अदालत ने सुरेंद्र अग्रवाल और विशाल अग्रवाल को जमानत दे दी। ये जमानत परिवार के ड्राइवर के अपहरण, गलत तरीके से बंधक बनाने के मामले में दी गई है। ऐसा आरोप था कि इन्होंने पीड़ित ड्राइवर को धमका कर यह जिम्मेदारी लेने के लिए कहा था कि दुर्घटना के वक्त वह गाड़ी ड्राइव कर रहा था। एक न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) ने 17 वर्षीय नाबालिग के पिता बिल्डर विशाल अग्रवाल और उसके दादा को जमानत दी, जिन्हें मई के अंत में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल अभी भी जेल में रहेंग क्योंकि उन पर पत्नी के साथ ब्लड के नमूने में हेराफेरी के एक अन्य मामले का आरोप है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पुणे के एक रियल एस्टेट डेवलपर के नाबालिग बेटे ने नशे में धुत होकर सड़क पर तेज रफ्तार से लग्जरी कार चलाई। कार ने एक मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी और दो लोगों की मौत हो गई। जब अदालत ने नाबालिग को सड़क दुर्घटना पर 300 शब्दों का निबंध लिखने को दिया तो देश भर में चर्चाएं शुरू हो गईं। सवाल उठने लगे तो शासन-प्रशासन हरकत में आ गया। अब इस मामले में पुणे की एक अदालत ने आरोपी किशोर के दादा सुरेंद्र अग्रवाल और पिता विशाल अग्रवाल को जमानत दे दी है। दोनों पर अपने परिवार के ड्राइवर का अपहरण कर कैद करने के आरोप थे।
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