नई दिल्ली : ‘उद्यमी भारत’ प्रोग्राम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि –
“आज पूरी दुनिया भारत की अर्थव्यवस्था की गति को देखकर प्रभावित है और इस गति में बहुत बड़ी भूमिका हमारे MSME सेक्टर की है।इसलिए MSME आज Micro Economy की मजबूती के लिए भी जरूरी है। आज भारत जितना निर्यात कर रहा है, उसमें बहुत बड़ा हिस्सा MSME का है। भारत आज अगर 100 रुपये कमाता है तो उसमें 30 रूपये MSME सेक्टर से आते हैं।”
उन्होंने कहा कि – “MSME सेक्टर को सशक्त करने का मतलब है, समाज को सशक्त करना। सबको विकास के लाभ का भागीदार बनाना। MSME सेक्टर को मजबूती देने के लिए पिछले आठ साल में हमारी सरकार ने बजट में 650 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी की है। यानि हमारे लिए MSME का मतलब है- Maximum Support to Micro Small and Medium Enterprises. लोकल उत्पादों को हमने ग्लोबल बनाने का संकल्प लिया है।
पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम में कहा कि – “प्रयास ये है कि Make in India के लिए लोकल सप्लाई चेन बने, जो भारत की विदेशों पर निर्भरता कम कर सके। इसलिए एमएसएमई सेक्टर का विस्तार करने पर अभूतपूर्व बल दिया जा रहा है। भारत का एक्सपोर्ट लगातार बढ़े, भारत के प्रॉडक्ट्स नए बाजारों में पहुंचें इसके लिए देश के MSME सेक्टर का सशक्त होना बहुत जरूरी है। हमारी सरकार, आपके इसी सामर्थ्य, इस सेक्टर की असीम संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय ले रही है, नई नीतियां बना रही है।”
उन्होंने कहा कि – “बीते 8 वर्षों में MSME सेक्टर का इतना विस्तार इसलिए हुआ है, क्योंकि हमारी सरकार देश के MSME उद्यमियों, कुटीर उद्योग, हथकरघा, हस्तशिल्प जैसे जुड़े साथियों पर भरोसा करती है। हमारी नियत और हमारी निष्ठा बिल्कुल साफ है और इसी का परिणाम आज नजर आ रहा है। हम कैसे बदलाव लाए हैं, इसका एक उदाहरण प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम भी है। 2008 में जब देश और पूरी दुनिया आर्थिक मंदी की चपेट में था, तब इस योजना को लागू किया गया था और दावा किया गया था कि अगले चार वर्षों के दौरान लाखों रोजगार तैयार किए जाएंगे। उद्यमशीलता को हर भारतीय के लिए सहज बनाने में मुद्रा योजना की बहुत बड़ी भूमिका है। बिना गांरटी के बैंक लोन की इस योजना ने महिला उद्यमियों, दलित, पिछड़े, आदिवासी उद्यमियों का एक बहुत बड़ा वर्ग देश में तैयार किया है। उद्यमशीलता को हर भारतीय के लिए सहज बनाने में मुद्रा योजना की बहुत बड़ी भूमिका है। बिना गांरटी के बैंक लोन की इस योजना ने महिला उद्यमियों, दलित, पिछड़े, आदिवासी उद्यमियों का एक बहुत बड़ा वर्ग देश में तैयार किया है।”
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