प्रचंड गर्मी और बिजली: उच्चतम स्तर पर डिमांड, सरकार का दावा-थर्मल पावर प्लांट में कोयले का स्टॉक पर्याप्त

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प्रचंड गर्मी और बिजली: उच्चतम स्तर पर डिमांड, सरकार का दावा-थर्मल पावर प्लांट में कोयले का स्टॉक पर्याप्त
(देश में बढ़ी बिजली की मांग) Image Source : Amar Ujala

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कोयला मंत्रालय ने थर्मल पावर प्लांट में कोयले के स्टॉक की पुष्टि करते हुए बताया कि पूरे देश में बिजली की निरंतर आपूर्ति हो सकती है क्योंकि इन प्लांटों में कोयला भंडारण 45 मिलियन टन से अधिक है। इस बार का कोयला भंडारण पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक है।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, गर्मी के बढ़ते प्रकोप से इन दिनों बिजली की खपत लगातार बढ़ी हुई है। बिजली उत्पादन की बढ़ती मांग के चलते कोयल का संकट का डर बना हुआ था। इस बीच, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने एक्सचेंज फाइलिंग में मई 2024 के लिए कुल कोयला उत्पादन 64.4 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) होने की जानकारी दी। पिछले साल की तुलना में यह भंडारण 7.5 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है, जो 59.9 एमएमटी था। कहा गया है कि यह भंडारण अगले 19 दिनों के लिए बिजली क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं। वहीं इसकी सहायक कंपनी महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) ने सबसे अधिक 18.0 एमएमटी उत्पादन किया। यह उसकी 11.3 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।

मीडिया में आई खबर के अनुसार, मई में उत्पादन में अप्रैल की तुलना में काफी कम है। मई 2024 के लिए सीआईएल का कुल कोयला उठाव 68.2 एमएमटी था। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के 63.7 एमएमटी की तुलना में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि दिखाता है। उत्पादन और उठाव दोनों में लगातार वृद्धि कोयला क्षेत्र के मजबूत प्रदर्शन को उजागर करती है। मई 2024 में थर्मल पावर प्लांट्स ने औसतन प्रतिदिन केवल 10,000 टन कोयले की कमी देखी गई।

मीडिया सूत्रों के अनुसार, रेल मंत्रालय ने रेलवे रैक की औसत दैनिक उपलब्धता में 9 प्रतिशत की वृद्धि की, जो कोयला परिवहन के लिए महत्वपूर्ण है। रेल परिवहन के अलावा, तटीय शिपिंग के माध्यम से कोयले की निकासी में भी काफी विस्तार हुआ है। पारंपरिक रूप से पारादीप बंदरगाह पर निर्भर, कोयले को अब धामरा और गंगावरम बंदरगाहों के माध्यम से भी भेजा जा रहा है। यह विविधीकरण कोयला रसद नीति के तहत समन्वित प्रयासों का परिणाम है। कोयला वितरण दक्षता में सुधार हुआ है। रेलवे नेटवर्क में कोयला रेक की तेज आवाजाही में काफी योगदान दिया है। खासतौर पर सोन नगर से दादरी मार्ग पर। इससे इन रेक के टर्नअराउंड समय में सौ प्रतिशत से अधिक सुधार हुआ है। जिससे बिजली संयंत्रों को कोयले का निरंतर प्रवाह सुनिश्चित हुआ है।

मीडिया की माने तो कोयला मंत्रालय की जानकारी के अनुसार बिजली मंत्रालय, कोयला मंत्रालय, रेल मंत्रालय और बिजली उत्पादन कंपनियों के प्रतिनिधियों से युक्त एक उप-समूह तंत्र ने स्थिर आपूर्ति को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले वर्ष की तुलना में कोयला उत्पादन में 8 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर दर्ज हुई है। खदानों में भंडार 100 मीट्रिक टन को पार कर गया है। जिससे बिजली क्षेत्र के लिए पर्याप्त आपूर्ति हुई है।

मीडिया में आई खबर के अनुसार, वहीं कोयला मंत्रालय मानसून सीजन के लिए सक्रिय रूप से तैयारी में लगा है। वह समय जो आमतौर पर कोयला परिवहन में रसद चुनौतियों से जुड़ा होता है। बता दें कि 1 जुलाई तक उम्मीद की जाती है कि ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले का भंडार 42 मीट्रिक टन से अधिक रहेगा। इससे बरसात के मौसम में निर्बाध बिजली उत्पादन हो सकेगा। रिकॉर्ड-उच्च बिजली मांगों को पूरा करने में ये उपाय महत्वपूर्ण रहे हैं।

मीडिया सूत्रों के अनुसार, हालांकि 30 मई को देश ने 250 गीगावाट पीक बिजली मांग हासिल की। इसके अलावा दिल्ली ने 8,300 मेगावाट से अधिक की सर्वकालिक उच्च बिजली खपत दर्ज की गई।

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