प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बंगाल की खाडी को संपर्क, समृद्धि और सुरक्षा का सेतु बनाने का आहवान किया है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय सहयोग विश्व के मौजूदा परिदृश्य में सबसे बडी प्राथमिकता बन गया है।
आज बिम्स्टेक शिखर सम्मेलन को वर्चुअली संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यूरोप के हाल के घटनाक्रम ने अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की स्थिरता को सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि बिम्स्टेक क्षेत्रीय सहयोग को और अधिक सक्रिय करना महत्वपूर्ण हो गया है। श्री मोदी ने कहा कि ये क्षेत्र वर्तमान वैश्विक चुनौतियों से अछूता नहीं रह सकता।
श्री मोदी ने कहा कि बिम्स्टेक समूह की संस्थागत रूपरेखा मजबूत करने के लिए इसका चार्टर अपनाया जा रहा है। बिम्सटेक की स्थापना का यह 25वां वर्ष है। उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन के परिणाम बिम्स्टेक के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय लिखेंगे।
प्रधानमंत्री ने बिम्सटेक सचिवालय की क्षमता बढाने पर बल दिया, ताकि यह सबकी अपेक्षाएं पूरी कर सकें। उन्होंने सुझाव दिया कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक कार्ययोजना बनाई जानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत इस सचिवालय का संस्थागत बजट बढाने के लिए दस लाख डॉलर की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएगा।
श्री मोदी ने कहा कि व्यापार बढाने के लिए बिम्सटेक मुक्त व्यापार समझौते के प्रस्ताव पर जल्दी प्रगति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बिम्सटेक देशों के उद्यमियों और स्टार्टअप के बीच आदान-प्रदान बढना चाहिए और व्यापार सुविधा के लिए अंतर्राष्ट्रीय नियम अपनाए जाने चाहिए।
1997 में स्थापित बिम्सटेक एक क्षेत्रीय संगठन है। भारत ,बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमा और थाईलैण्ड इसके सदस्य देश हैं।
सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा कि वे श्रीलंका की मेजबानी में आयोजित पांचवें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेकर प्रसन्न हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल की खाडी बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग संगठन-बिम्सटेक सहयोग बढाने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले किये गये हैं। उन्होंने श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिन्दा राजपक्से के समर्थ नेतृत्व की सराहना की और संगठन के भावी अध्यक्ष थाईलैण्ड के प्रधानमंत्री प्रयूत चान ओ चा को शुभकामनाएं दीं।
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