बच्चों में बचपन से वंचित वर्गों की मदद के संस्कार डाले जायें

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मध्यप्रदेश के  राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि बचपन से ही बच्चों में वंचित वर्गों की मदद के संस्कार डाले जाने चाहिए। बच्चों में यह भाव और भावना होनी चाहिए कि वंचित वर्ग की जो भी जितनी भी मदद वह कर सकते हैं, उन्हें आगे बढ़ कर करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को स्वयं के अनुभवों से बच्चों में वंचित वर्गों के प्रति संवेदनशीलता और आत्म-निर्भरता की भावनाओं को मज़बूत बनाना चाहिए। अभिभावकों और गुरुजनों का उत्तरदायित्व है कि वे बच्चों को सही और अच्छा आकार देकर समाज का जिम्मेदार नागरिक बनाएँ। राज्यपाल श्री पटेल हेमा हायर सेकेंडरी स्कूल के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे।

राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं। बच्चों का जीवन, समग्र विकास और उनकी आरोग्यता, समर्थ, सक्षम और समृद्ध राष्ट्र निर्माण का महत्वपूर्ण पहलू है। सरकार, समाज, शिक्षकों और पालकों की सामूहिक जिम्मेदारी है कि बच्चों की उचित देखभाल और हिफाजत करें, जिससे उनका समग्र विकास हो। परिवार और विद्यालय में जैसे संस्कार मिलते हैं, बच्चे उसी में ढल जाते हैं, अतः शिक्षकों को अच्छी आदतों के लिए बच्चों के साथ ही अभिभावकों का भी उचित दिशा-दर्शन करना चाहिए।

राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि विद्यालय का वातावरण बच्चों को स्वस्थ, शिक्षित, संवेदनशील, राष्ट्र और समाज के विकास में सहयोग के लिए सक्षम बनाने वाला होना चाहिए। विद्यालय में बच्चों की सहभागिता से सामाजिक-सरोकारों, स्वच्छता, पर्यावरण, ऊर्जा, जल-संरक्षण, स्वास्थ्य-चेतना, श्रम और सेवा-संस्कारों के अनुभव और आनंद से परिचित कराने वाले आयोजन किए जाने चाहिए। किताबें व्यक्ति की सच्ची मित्र होती है अत: बच्चों को कोर्स के साथ ही साहित्य, संस्कृति और अन्य शिक्षाप्रद पुस्तकों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि वर्तमान आधुनिक, प्रौद्योगिकी और तकनीकी के युग में नई पीढ़ी पर पश्चिम सभ्यता का प्रभाव अधिक तेजी से देखने को मिल रहा है। हमारा दायित्व है कि अपनी संस्कृति और सभ्यता से बच्चों को अवगत कराते रहें। उन्होंने कहा कि हमारा देश दुनिया में ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक था। आपसी कलह के कारण हमारा देश गुलाम हो गया था। हमारे देश के वीर-वीरांगनाओं के त्याग और बलिदान से मिली आज़ादी के संघर्ष से परिचित कराने के लिए आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि युवा और भावी पीढ़ी को हमारी संस्कृति की महत्ता, गौरवशाली परंपराओं से परिचित और पश्चिमी सभ्यता के भौतिकवाद की समस्याओं और दुष्परिणामों के बारे में समझाना चाहिए।

हेमा सोसायटी के अध्यक्ष श्री फिलिप पनिकर ने बताया कि विद्यालय की स्थापना 16 जुलाई, 1973 को 16 बच्चों और सांस्कृतिक भवन के तीन कमरों से हुई थी। आज विद्यालय 3.4 एकड़ भू-क्षेत्रफल में 1300 विद्यार्थियों के शिक्षण का कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया कि विद्यालय में विद्यार्थियों को नवाचार, पर्यावरण जागरूकता और बागवानी का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। दिव्यांग बच्चों के सहयोग, वृद्धाश्रम भ्रमण और वंचित वर्ग के साक्षरता प्रयासों में भी सहयोग किया जाता है। स्वागत उद्बोधन विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती पूनम शर्मा, आभार प्रदर्शन हेमा सोसायटी की संयुक्त सचिव श्रीमती पी.एस. प्रतिभा ने किया। 

राज्यपाल श्री पटेल का स्वागत पौधा, शॉल, श्रीफल और स्मृति-चिन्ह भेंट कर सोसायटी के सचिव श्री किशोर पिल्लई ने किया और निर्देशिका की प्रथम प्रति भेंट की। कार्यक्रम का शुभारंभ वेद मंत्रों के साथ दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया।

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