बांग्लादेश: प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन घेरा, मोहम्मद शहाबुद्दीन से इस्तीफे की मांग

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बांग्लादेश: प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन घेरा, मोहम्मद शहाबुद्दीन से इस्तीफे की मांग

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार को पांच अगस्त को उखाड़ फेंकने के बाद अब छात्रों ने राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन के इस्तीफे की मांग तेज कर दी है। उन्होंने बंगभवन को घेर लिया और शहाबुद्दीन को पद छोड़ने के लिए सात दिनों का अल्टीमेटम दिया है। बीते सप्ताह एक साक्षात्कार में शहाबुद्दीन ने कहा था कि उनके पास अगस्त में देश छोड़ने से पहले हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने का कोई दस्तावेजी सुबूत नहीं है। इस बयान के बाद छात्र भड़क उठे। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने बुधवार को कहा कि उसने अभी राष्ट्रपति को पद से हटाने पर कोई निर्णय नहीं लिया है।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस बीच, अंतरिम सरकार ने शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग पार्टी के छात्र संगठन बांग्लादेश छात्र लीग (बीसीएल) पर आतंकवाद निरोधक कानून के तहत प्रतिबंध लगा दिया। अधिसूचना में कहा गया कि यह छात्र संगठन अवामी लीग सरकार के दौरान पिछले 15 सालों में कई अनैतिक गतिविधियों में शामिल रहा है। प्रदर्शन से संबंधित टीवी फुटेज में विभिन्न बैनर तले प्रदर्शनकारियों को पुलिस के साथ हाथापाई करते दिखाया गया है। अस्पताल के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि जब सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रपति भवन के बैरिकेड तोड़ने से रोकने के लिए गोलियां चलाईं तो दो लोग घायल हो गए। हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए इस्तेमाल किए गए ग्रेनेड से तीसरा व्यक्ति घायल हो गया। विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर राष्ट्रपति आवास के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है। मुख्य द्वार पर बैरिकेड्स के साथ कंटीले तारों की बाड़ लगाई गई है। विरोध प्रदर्शन बढ़ने की स्थिति में बख्तरबंद वाहन, वाटर कैनन और दंगा नियंत्रण वाहनों को भी तैयार रखा गया है। विरोध कर रहे छात्रों ने मांग की है कि 1972 में लिखे गए संविधान को खत्म किया जाए और 2024 के संदर्भ में नया संविधान बनाया जाए। छात्रों ने अवामी लीग के छात्र संगठन बांग्लादेश छात्र लीग पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की है। उन्होंने कहा है कि शेख हसीना के नेतृत्व में 2014, 2018 और 2024 में हुए चुनावों को अवैध घोषित किया जाना चाहिए और इन चुनावों में जीत हासिल करने वाले संसद सदस्यों को अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए। छात्र आंदोलन के समन्वयकों में से एक हसनत अब्दुल्ला ने कहा कि यदि सरकार इस सप्ताह तक मांगों को पूरा करने में विफल रही, तो हम पूरी ताकत के साथ सड़कों पर फिर से उतरेंगे।

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