बिहार में फिर बदलेगा मौसम का मिजाज, इन 12 जिलों में आंधी के साथ बारिश का अलर्ट

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बिहार में फिर बदलेगा मौसम का मिजाज, इन 12 जिलों में आंधी के साथ बारिश का अलर्ट

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश में एक बार फिर मौसम का मिजाज बदल रहा है। उत्तर पश्चिम राजस्थान व आसपास इलाकों में चक्रवातीय परिसंचरण का प्रभाव बना हुआ है। मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अनुसार, दो मार्च से उत्तर-पश्चिम भागों में पश्चिमी विक्षोभ के प्रभावित करने की संभावना है। पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से अगले 24 घंटों के दौरान प्रदेश के 12 शहरों पूर्वी व पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी, कैमूर, औरंगाबाद, रोहतास, गया, नवादा, जमुई व बांका जिले के एक या दो स्थानों पर बादल गरजने के साथ बिजली गिरने की संभावना है। इसे लेकर मौसम विभाग ने यलो अलर्ट जारी किया है। इन जगहों पर 30-40 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से तेज हवा का प्रवाह जारी रहने की संभावना है। पटना सहित अन्य भागों में आंशिक रूप से बादल छाए रहने के साथ मौसम सामान्य बना रहेगा।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बीते 24 घंटों के दौरान पटना समेत 23 शहरों के न्यूनतम तापमान में वृद्धि दर्ज की गई। पटना का न्यूनतम तापमान 16.6 डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि 10.5 डिग्री सेल्सियस के साथ मोतिहारी पूर्वी चंपारण में प्रदेश का सबसे कम न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया। पटना का अधिकतम तापमान 1.3 डिग्री की वृद्धि के साथ गुरुवार को 29.5 डिग्री सेल्सियस रहा। 30.6 डिग्री सेल्सियस के साथ मधुबनी में सबसे ज्यादा गर्म रहा। राजधानी व आसपास इलाकों में धूप निकलने के साथ कुछ स्थानों पर आंशिक रूप से बादल छाए रहने से सुबह-शाम हल्की ठंड का प्रभाव बना रहा। उत्तर बिहार के जिलों में फरवरी के प्रारंभ से ही तापमान में हो रहे उतार-चढ़ाव और तापमान सामान्य से अधिक रहने के कारण रबी की मुख्य फसल गेहूं प्रभावित हो रहा है, जिससे किसान भी काफी परेशान है। युवा से बुजुर्ग किसानों तक का कहना है कि मौसम में इतनी जल्दी बदलाव नहीं देखा गया और इसका प्रभाव सीधे तौर पर कृषि पर पड़ रहा है। गेहूं सहित अन्य सभी फसल बढ़ते तापमान से कराह रही हैं। इस मौसम में होने वाले सब्जी के बीज भी अंकुरित नहीं हो पा रहे हैं। वहीं खेतों में नमी नहीं रहने के कारण दलहन की फसल मूंग की बुआई भी प्रभावित होने लगी है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के डॉ.ए सत्तार ने बताया कि विलंब से बुआई किए गए गेहूं को यह तापमान प्रभावित करेगा। गेहूं की 1 से 15 नवंबर तक की गई बुआई अधिक प्रभावित नहीं होगी। डॉ. सत्तार ने बताया कि पिछले कई वर्षों से रबी फसल में तापमान में उतार चढ़ाव पाया गया है। इस वर्ष भी फरवरी में ही बिहार के कई जिलों में 29 से 32 डिग्री तापमान हो गया, जो सामान्य से तीन से पांच डिग्री अधिक है। वहीं अगले चार-पांच दिनों में दो से तीन डिग्री अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान दोनों की बढ़ाने की संभावना है। तापमान की बढ़ोतरी से आम, लीची सहित गर्म सब्जियों पर भी इसका असर पड़ेगा। मौसम वैज्ञानिक ने किसानों को सलाह दिया कि जलवायु अनुकूल एवं मौसम आधारित खेती करें।

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