मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राउज एवेन्यू स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने ब्रिटेन में रह रहे हथियार डीलर संजय भंडारी को आधिकारिक रूप से भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया। यह कार्रवाई प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर की गई। अदालत ने ये फैसला भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (एफइओए), 2018 के तहत लिया है, जिसे केंद्र सरकार ने ऐसे आर्थिक अपराधियों से निपटने के लिए लाया था जो देश में 100 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी कर विदेश भाग जाते हैं। कोर्ट के इस फैसला से भंडारी की भारत और विदेशों में मौजूद संपत्तियों को जब्त करने का रास्ता साफ हो गया है। ईडी के अनुसार, संजय भंडारी वर्ष 2016 में भारत से भागकर यूके चला गया। आयकर विभाग द्वारा उसके दिल्ली स्थित ठिकानों पर छापेमारी के कुछ ही दिनों बाद उसने भारत छोड़ दिया। फरवरी 2017 में ईडी ने उसके खिलाफ मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया, जो ब्लैक मनी (अघोषित विदेशी संपत्ति) कानून के तहत आयकर विभाग के आरोपपत्र पर आधारित था। इसके बाद ईडी ने 2020 में अपना आरोपपत्र दायर किया था। हाल ही में ब्रिटेन की एक अदालत ने भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध को खारिज कर दिया, जिससे उसकी वापसी मुश्किल हो गई है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ईडी का दावा है कि भंडारी ने रक्षा सौदों में दलाली कर करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति विदेशों में बनाई। वर्ष 2016 में आयकर विभाग की छापेमारी में भंडारी के पास से गोपनीय रक्षा दस्तावेज और गैर-घोषित विदेशी संपत्तियों के सबूत मिले थे। जांच में भंडारी का संबंध कई विदेशी हथियार कंपनियों से सामने आया जो भारत सरकार से रक्षा खरीद के ठेके पाने की होड़ में थीं। संजय भंडारी का नाम कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा से जुड़े एक मनी लांड्रिंग मामले में भी आया है। वर्ष 2023 में दाखिल पूरक आरोपपत्र में ईडी ने दावा किया था कि भंडारी ने वर्ष 2009 में लंदन के 12 ब्रायनस्टन स्क्वायर पर एक मकान खरीदा और उसका नवीनीकरण राबर्ट वाड्रा के निर्देश पर किया गया, जिसकी फंडिंग भी वाड्रा ने की। संजय भंडारी पर आरोप है कि उसने भारत में कर निवास (टैक्स रेजिडेंट) होने के बावजूद विदेशी संपत्तियों को छुपाया, झूठे दस्तावेज बनाए और टैक्स विभाग को गुमराह किया। हालांकि, भंडारी के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल की ब्रिटेन में रहने की वैध अनुमति है और उन्हें भगोड़ा घोषित करना कानूनन गलत है, यूके अदालत का फैसला भारत सरकार को मानना होगा। ईडी ने भंडारी की करीब 21 करोड़ की संपत्तियों को जब्त भी किया है।
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