मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारत ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केन्द्र में अंतरिक्ष यान ड्रैगन की सफल डॉकिंग को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिये ऐतिहासिक उपलब्धि बताया है। भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला एक्सिओम मिशन में अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र पंहुचने वाले पहले भारतीय हैं। अंतरिक्ष केन्द्र में 14 दिन के प्रवास में कुल साठ महत्वपूर्ण प्रयोग किए जाएंगे। शुभांशु शुक्ला इस दौरान माइक्रो ग्रैविटी से संबंधित और भारतीय संस्थानों द्वारा विकसित सात प्रयोग करेंगे, जो भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण में महत्वपूर्ण कदम साबित होंगे। विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने इस उपलब्धि की सराहना की है। उन्होंने कहा कि यह मिशन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लक्ष्य आत्मनिर्भर भारत और विश्वबंधु भारत की भावना दर्शाता है। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष केन्द्र में शुभांशु शुक्ला द्वारा किए जाने वाले प्रयोग पूरी तरह से भारतीय संस्थानों द्वारा विकसित हैं। इनसे प्राप्त वैज्ञानिक निष्कर्ष मानवता के कल्याण के लिए पूरे विश्व से साझा किए जाएंगे।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत अब अंतरिक्ष में भावी जीवन के भविष्य को आकार दे रहा है और ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इस मिशन से देश के वैज्ञानिक लक्ष्यों को साकार करेंगे। एक्सिओम-4 मिशन अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत का सर्वाधिक प्रत्यक्ष योगदान है। अंतरिक्ष केन्द्र में किए जा रहे भारत के सात प्रयोग अंतरिक्ष और पृथ्वी पर नवाचारों में महत्वपूर्ण योगदान साबित होंगे। पहला प्रयोग माइक्रो ग्रैविटी में सूक्ष्म शैवालों से संबंधित है, जो लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशन में जीवन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। दूसरा प्रयोग अंतरिक्ष में मूंग और मेथी जैसे अंकुरने वाले बीजों के अंकुरित होने से संबंधित हैं। इससे अंतरिक्ष यात्रियों के लिए पोषण युक्त खाद्य विकल्प उपलब्ध होगा। तीसरा प्रयोग सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में मांसपेशियों के पुन: निर्मित होने के बारे में है। चौथा प्रयोग अतिरेक वाले वातावरण में मनुष्य के जीवित रहने की सम्भावनाओं का पता लगाएगा। पांचवा प्रयोग शून्य गुरुत्वाकर्षण में इलेक्ट्रॉनिक डिस्पले नियंत्रण प्रणाली से संबंधित हैं। छठा प्रयोग अंतरिक्ष में नाइट्रोजन स्रोत के रूप में यूरिया के इस्तेमाल से साइनो बैक्टिरिया की वृद्धि की जांच से संबंधित है और भारत का सातवां प्रयोग अंतरिक्ष की परिस्थितियों में खाद्यान्न और सब्जियों के समायोजन से जुड़ा है।
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