चीन ने कहा है कि वह भारत के साथ व्यापार संबंधों को सामान्य रूप से आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। चीन का यह बयान इस रिपोर्ट के बीच आया है कि अमरीका ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए चीन के स्थान पर भारत को अपना सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार बनाया। कोविड महामारी और सीमा पर बने गतिरोध की वजह से चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा और बढ़ गया है। भारतीय उत्पादों पर चीन की “गैर-शुल्क व्यापारिक बाधाएं” भी एक कारण रही। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने पेइचिंग में पत्रकारों से बातचीत में जोर देकर कहा कि चीनी सांख्यिकीय विभाग के आकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में चीन 125 अरब डॉलर से अधिक के द्विपक्षीय व्यापार के साथ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना हुआ है। हालांकि, प्रवक्ता ने “गैर शुल्क व्यापार बाधाओं” और व्यापार घाटे और भारतीय व्यावसायियों के अन्यमुद्दों पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की। भारत लंबे समय से इस बात पर जोर देता रहा है कि चीन को भारत के सूचना प्रौद्योगिकी और फार्मास्युटिकल क्षेत्रों के लिए अपने बाजार खोलने चाहिए। लेकिन चीन ने अब तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है।
चीन के पूर्व राजनयिक और चीन तथा वैश्वीकरण केंद्र (सीसीजी) के एक वरिष्ठ साथी हे वीवेन – पेइचिंग में प्रसार भारती को बताया कि सीमा पर बने गतिरोध की वजह से भारत चीन व्यापार पर निश्चित रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, लेकिन वह सीमित है। दोनों सरकारें स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए काम कर रही हैं।
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