विश्व बैंक ने कहा है कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान मुद्रास्फीति इससे पिछले वित्त वर्ष के 6.6 प्रतिशत की तुलना में घट कर 5.2 प्रतिशत पर आ जाएगी। विश्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में यह अनुमान भी व्यक्त किया है कि वर्तमान वित्त वर्ष में देश का चालू खाता घाटा भी इससे पूर्व वित्त वर्ष के लिए अनुमानित 3 प्रतिशत से घटकर सकल घरेलू उत्पाद के 2.1 प्रतिशत पर आ जाएगा।
गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने मई 2022 से लेकर अब तक मुद्रास्फीति घटाने के उपायों के तहत ब्याज दर में 250 आधार अंकों की बढ़ोत्तरी की है। हालांकि विश्व बैंक की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बढ़ी ब्याज दर से ऋण लागत ऊंची होगी और घरेलू उपभोक्ता खपत कम हो सकती है जिसका असर सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर में कमी के रूप में दिख सकता है। विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023-34 के लिए जीडीपी वृद्धि दर में संशोधन करते हुए 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है जो भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा पूर्वानुमान 6.4 प्रतिशत के नजदीक है।
वैश्विक और घरेलू कारणों से उत्पन्न चुनौतियों के मद्देनजर एशियाई विकास बैंक ने भी इस अवधि के दौरान भारत में सकल उत्पादन वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है।
वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार अमेरिका और यूरोप के वित्तीय बाजारों में ताजा ऊथल-पुथल से भारत में लघु अवधि निवेश प्रवाह में चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं लेकिन भारतीय सेवा क्षेत्र का उछाल बाहरी आशंकाओं से ढाल की तरह काम आ सकता है।
Courtsey : newsonair.gov.in
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