भारत-रूस ने शुरू किया 6 दिवसीय नौसैनिक अभ्यास, नौसेना ने तैनात किए युद्धपोत राणा और कुठार

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भारत-रूस ने शुरू किया 6 दिवसीय नौसैनिक अभ्यास, नौसेना ने तैनात किए युद्धपोत राणा और कुठार
(सांकेतिक तस्वीर)

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारत और रूस ने शुक्रवार को चेन्नई तट पर छह दिवसीय नौसैनिक अभ्यास शुरू किया। इस सैन्य अभ्यास इंद्र में रूसी नौसैनिक जहाज – पेचंगा, रेज्की और अल्दार त्सिडेंझापोव भाग ले रहे हैं। इस अभ्यास में नौसेना ने अपने युद्धपोत राणा, कुठार और समुद्री गश्ती विमान पी81 को तैनात किया है। यह अभ्यास दो चरणों में आयोजित किया जा रहा है। बंदरगाह चरण 28 से 30 मार्च तक चेन्नई में होगा जबकि समुद्री चरण 31 मार्च से दो अप्रैल तक बंगाल की खाड़ी में होगा। भारतीय नौसेना ने कहा कि 2003 में अपनी स्थापना के बाद से इंद्र अभ्यास दोनों नौसेनाओं के बीच दीर्घकालिक रणनीतिक संबंधों का प्रतीक रहा है जो नौसैनिक परिचालन तालमेल को बढ़ाने के लिए दोनों देशों की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इनका उद्देश्य समुद्री सहयोग को बढ़ाना, मैत्री संबंधों को मजबूत करना, सर्वोत्तम परिचालन प्रथाओं का आदान-प्रदान करना और दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों को मजबूत करना है।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने शुक्रवार को सेना और वायुसेना के लिए 62,700 करोड़ रुपये की लागत से 156 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर ‘प्रचंड’ की खरीद के अब तक के सबसे बड़े सौदे को मंजूरी दी है। यह खरीदारी हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से की जाएगी। एचएएल के लिए यह अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर होगा। हेलीकॉप्टरों का निर्माण बेंगलुरु और तुमकुर स्थित संयंत्रों में किया जाएगा। यह सेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) प्रचंड भारत का पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित लड़ाकू हेलीकॉप्टर है। यह पांच हजार से अधिक की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक्स पर पोस्ट किया, यह निर्णय भारत की युद्ध क्षमताओं और रक्षा में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने वाला है। कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय से 8500 से अधिक नौकरियां पैदा होंगी। यह वास्तव में भारत की मेक इन इंडिया यात्रा के लिए गौरव का क्षण है। मैं इस महत्वपूर्ण निर्णय के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देता हूं। एलसीएच को प्रचंड के नाम से भी जाना जाता है। 5.8 टन वजनी दो इंजन वाला यह हेलीकॉप्टर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में दुश्मन के टैंकों, बंकरों, ड्रोन को नष्ट करने में सक्षम है। इस हेलीकाप्टर में आधुनिक स्टेल्थ विशेषताएं, मजबूत कवच सुरक्षा और रात में हमला करने की अद्भुत क्षमता है। यह दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन में भी उड़ान भरने में पूरी तरह सक्षम है। प्रचंड हवा से जमीन और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें दागने में भी सक्षम है। सीसीएस के निर्णय के बाद रक्षा मंत्रालय ने खरीद के लिए एचएएल के साथ दो अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए। पहला अनुबंध भारतीय वायु सेना को 66 प्रचंड हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के लिए है, जबकि दूसरा अनुबंध थलसेना के लिए 90 प्रचंड हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए है। रक्षा मंत्रालय ने कहा, एचएएल के साथ 156 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर प्रचंड की आपूर्ति के लिए प्रशिक्षण और अन्य संबंधित उपकरणों के साथ 62,700 करोड़ रुपये के दो अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए। इन हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति तीसरे वर्ष से शुरू होगी और अगले पांच वर्षों तक जारी रहेगी। इस हेलीकॉप्टर के अधिकतर कुलपुर्जे भारत में डिजाइन और निर्मित किए गए हैं।

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