मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, फिल्म जगत में अपनी खास पहचान बनाने वाले कलाकार विजय खरे नहीं रहे । वह कुछ दिनों से किडनी रोग से परेशान थे, जिसके बाद उन्हें बेंगलुरु के कावेरी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। उनकी हालत स्थिर बनी हुई थी, लेकिन आज सुबह 4 बजे अचानक तबियत बिगड़ने के बाद उन्होंने जिंदगी को अलविदा कह दिया। फिल्मों में खलनायक कि भूमिका निभाने के लिए मशहूर विजय खरे की कुछ मशहूर फिल्मों में गंगा किनारे मोरा गांव (1983) शामिल हैं। भोजपुरिया जगत के महानायक विजय खरे काफी समय से डायलिसिस पर थे। दरअसल वे पार्किंसन बीमारी से ग्रसित थे। लंबे समय से उनका इलाज चल रहा था और आज उन्होंने बेंगलुरु के कावेरी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उन्हें बिहार का गब्बर सिंह भी कहा जाता था। उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों में काम किया और बिहार का नाम रोशन किया। अपने पीछे वे तीन बेटों और पत्नी को छोड़ गए हैं। उनके बड़े बेटे संतोष खरे नोएडा की एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में जनरल मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। उनके बीच के बेटे अशुतोष खरे ने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया और 50 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। वे अभिनेता, निर्देशक और निर्माता के रूप में विजय खरे की परंपरा को आगे ले जा रहे हैं। उनके छोटे बेटे परितोष खरे भी बेंगलुरु की मल्टीनेशनल कंपनी में एक उच्च पद पर कार्यरत हैं। विजय खरे ने भोजपुरी फिल्मों को एक ऐसा मुकाम दिया, जहां आज के कलाकार उनकी राह पर चलते हुए इसे और ऊंचाई पर ले जा रहे हैं। उनका योगदान सदैव याद किया जाएगा।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भोजपुरी फिल्मों के अमरीश पुरी के नाम से मशहूर विजय खरे को साल 2019 में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी नवाजा गया। उन्हें ये अवार्ड कोलकाता के नेताजी सुभाषचंद्र बोस स्टेडियम में दिया गया। अवार्ड लेने के दौरान उन्होंने अपने फिल्म नगरी के सफर के बारे में भी बताया था। भोजपुरी फिल्मों में कई उतार-चढ़ाव देखने वाले विजय खरे का निधन भोजपुरी इंडस्ट्री के लिए बड़ी क्षति है।
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