मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस बीआर गवई और पांच अन्य न्यायाधीशों का एक प्रतिनिधिमंडल 22 मार्च को जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में राहत शिविरों का दौरा करेगा। नालसा ने कहा कि जस्टिस गवई, जो नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं, शीर्ष कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत, विक्रम नाथ, एमएम सुंद्रेश, केवी विश्वनाथन और एन. कोटिस्वर सिंह के साथ मणिपुर हाई कोर्ट के द्विवार्षिक समारोह के अवसर पर राहत शिविरों का दौरा करेंगे। नालसा ने 17 मार्च को जारी बयान में कहा, ”तीन मई, 2023 की विनाशकारी सांप्रदायिक ¨हसा के लगभग दो वर्ष बाद, जिसके कारण सैकड़ों लोगों की जान चली गई और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए, कई लोग पूरे मणिपुर में राहत शिविरों में शरण लिए हुए हुए हैं।”
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बयान में कहा गया है कि शीर्ष अदालत के जजों का दौरा इन प्रभावित समुदायों को कानूनी और मानवीय सहायता की निरंतर आवश्यकता को रेखांकित करता है। नालसा ने कहा कि इस दौरे के दौरान जस्टिस गवई इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम और उखरुल जिलों में नए कानूनी सहायता क्लीनिकों के अलावा राज्यभर में कानूनी सेवा शिविरों और चिकित्सा शिविरों का वर्चुअल उद्घाटन करेंगे। इस दौरान आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (आइडीपी) को आवश्यक राहत सामग्री वितरित की जाएगी। कांग्रेस ने मणिपुर के राहत शिविरों का दौरा करने के सुप्रीम कोर्ट के जजों के फैसले का स्वागत किया है। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने सुप्रीम कोर्ट के अगस्त, 2023 के फैसले को याद किया जिसमें उसने कहा था कि पूर्वोत्तर राज्य में संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है।
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