भोपाल: मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने बड़ी पहल शुरू की है। प्रदेश में 15 हजार शिक्षकों को नियमित किया जाएगा। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग की विशेष कमेटी ने काउंसलिंग शुरू कर दी है।
काउंसलिंग की प्रक्रिया अक्टूबर के पहले हफ्ते से जारी है। इस दौरान 5 हजार अतिशेष शिक्षकों का निराकरण भी किया जा रहा है।
नियमितीकरण के बारे में बारे में ताजा जानकारी यह है कि भर्ती होने के 3 साल तक टीचर्स का प्रोबेशन पीरियड रहता है। प्रोबेशन पीरियड खत्म होने के बाद नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू होती है।
सरकार एक ओर जहां शासकीय स्कूलों में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा देने के लिए शैक्षणिक व्यवस्था में लगातार सुधार सहित कई तरह के नवाचारों से शिक्षा देने के लिए तमाम तरह के प्रयासों पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन सरकार के प्रयासों को नेताओं के लेटर पैड से होने वाले अटैचमेंट, शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार पर सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं।
शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों द्वारा बताया गया कि यह नेता बिना शैक्षणिक व्यवस्था जाने बगैर अपने चहेतों को पास के स्कूल में नौकरी करने के लिए अपने लेटर पैड पर अटैचमेंट की अनुशंसा कर देते हैं, जिसका मजबूरी में संकुल प्राचार्य और जिला शिक्षा अधिकारी को पालन करना ही पड़ता है, जिससे सरकारी स्कूल के बच्चों के हालात यह हो जाते हैं कि बच्चे कई विषयों की शिक्षा से वंचित रह रहे हैं।
ताजा मामला आदिवासी बाहुल्य शासकीय माध्यमिक शाला गादिया का है। जहां माध्यमिक शाला में कुल 51 बच्चे पंजीकृत हैं और जिन्हें पढ़ने के लिए यहां दो नियमित शिक्षकों की नियुक्ति है। लेकिन इनमें से एक शिक्षिका ने अपना अटैचमेंट नयापुरा कर रखा है, जिस वजह से अभी माध्यमिक शाला के मौजूदा हालात में यहां सिर्फ एक ही शिक्षक कक्षा 6, 7, 8 के सभी विषयों की जिम्मेदारी है।
ऐसे हालात में बच्चों को कितनी गुणवत्ता की और कैसी शिक्षा मिल रही होगी आप खुद समझ सकते है।गौरतलब है कि जिम्मेदारों के बार-बार निरीक्षण करने पर भी माध्यमिक शाला में ऐसी स्थिति बनी हुई है जो जिम्मेदारों की कार्य प्रणाली पर भी कई तरह के सवाल खड़े करती है।
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News & Image Source: khabarmasala