नई दिल्ली: मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, हाल के समय में पेट्रोल में एथेनॉल मिले होने की वजह से गाड़ी के कम माइलेज मिलने को लेकर तरह-तरह की बातें चल रही है। इसपर सरकार की तरफ से पहले ही सफाई दी जा चुकी है। अब इस मामले पर भारत के सड़क परिवहन और राजमार्ग केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी खुलकर बात की। उन्होंने तो उन लोगों को खुली चुनौती दे दी है, जो इसको लेकर दावा कर रहे हैं कि पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने की वजह से गाड़ी कम माइलेज देगी। आइए विस्तार में जानते हैं कि इस मामले में नितिन गडकरी ने क्या कहा?
गडकरी की खुली चुनौती
सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को बिजनेस टुडे के जरिए आयोजित एक शिखर सम्मेलन में शामिल हुए। यहां पर उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिलाने (जिसे E20 कहा जाता है) से वाहनों का माइलेज कम होता है, इस तर्क में कोई सच्चाई नहीं है। इसके साथ ही कहा कि इस पर तो कोई चर्चा भी नहीं है। मुझे नहीं पता कि मुझे यह राजनीतिक रूप से कहना चाहिए या नहीं, लेकिन ऐसा लगता है कि पेट्रोलियम लॉबी इसे हेरफेर कर रही है। आप मुझे दुनिया में एक भी ऐसा वाहन दिखाओ जिसे E20 पेट्रोल के कारण समस्या हुई हो! मैं एक खुली चुनौती देता हूँ। E20 से बिल्कुल कोई समस्या नहीं है।
गडकरी ने आगे कहा कि स्थानीय रूप से उत्पादित एथेनॉल का इस्तेमाल भारत के आयात बिल को कम करने में मदद करता है और प्रदूषण को भी कम करता है। मक्के की कीमत 1,200 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2,600 रुपये हो गई हैं, यह सब इसलिए है क्योंकि इससे एथेनॉल का उत्पादन हो रहा है। इससे बिहार और उत्तर प्रदेश में मक्का के तहत आने वाले क्षेत्र में तीन गुना की बढ़ोतरी हुई है। इससे किसानों की आय बढ़ रही है।
पेट्रोलियम मंत्रालय कह चुका है ये बात
नितिन गडकरी के इस खुली चुनौती से पहले पेट्रोलियम मंत्रालय की तरफ से पेट्रोल में एथेनॉल की वजह से माइलेज पर पड़ने वाले असर के बारे में बता चुका है। पेट्रोलियम मंत्रालय की तरफ से कह गया है कि इस फ्यूल के कारण इंजन को कोई बड़ा नुकसान या परफॉर्मेंस में कोई कमी नहीं आती है। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि नई कारों में माइलेज 2 प्रतिशत तक और पुरानी कारों में 6 प्रतिशत तक कम हो सकता है, जिन्हें अपडेटेड पार्ट्स की जरूरत हो सकती है। इसको लेकर मंत्रालय की तरफ से सोमवार को एक सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किया गया था, जिसमें बताया गया था कि इसे नियमित रखरखाव के साथ संभाला जा सकता है।
इस पोस्ट में पेट्रोलियम मंत्रालय ने कहा था कि E20 पेट्रोल के इस्तेमाल पर पुराने वाहनों में 20,000 से 30,000 किमी के बाद रबर के पुर्जे या गैसकेट जैसे छोटे-मोटे अपडेट की जरूरत हो सकती है, जो सस्ते होते हैं और आमतौर पर नियमित सर्विसिंग के दौरान किए जाते हैं।
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News & Image Source: khabarmasala