राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि युद्ध और विषमता के इस दौर में विश्व समुदाय समाधान के लिए भारत की ओर देख रहा है। उन्होंने कहा कि अनिश्चितता के माहौल में भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के साथ-साथ विश्व में शांति के अग्रदूत की भूमिका भी निभा रहा है। श्रीमती मुर्मु आज शाम आबू रोड में ब्रह्म कुमारियों द्वारा आयोजित ‘राइज-राइजिंग इंडिया थ्रू स्पिरिचुअल एम्पावरमेंट’ पर राष्ट्रीय अभियान के शुभारंभ के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि हमारा देश आध्यात्मिकता और नैतिकता पर आधारित विश्व व्यवस्था के निर्माण में सक्रिय है। श्रीमती मुर्मू ने कहा कि अध्यात्म ही एकमात्र प्रकाश पुंज है जो संपूर्ण मानवता को सही मार्ग दिखा सकता है। उन्होंने कहा कि इस अमृत काल में वर्ष 2047 के स्वर्णिम भारत का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए देश़ को विज्ञान और अध्यात्म दोनों का ही उपयोग करना होगा। सुश्री मुर्मु ने जोर देकर कहा कि हमारा उद्देश्य भारत को ज्ञान के क्षेत्र में महाशक्ति बनाना है। उन्होंने कहा कि इस ज्ञान महाशक्ति को सतत विकास, सामाजिक समरसता और विश्व में स्थायी शांति के लिए किया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण भी आध्यात्मिक सशक्तिकरण का एक रूप है। उन्होंने उल्लेख किया कि पर्यावरण और आध्यात्मिकता के बीच अंतर्संबंध हमारे देश के लिए कोई नई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि हम सदियों से पेड़ों, पहाड़ों और नदियों की पूजा करते आ रहे हैं। जीवन में शांति लाने के लिए पर्यावरण की रक्षा करनी होगी और भारत ने जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करने के लिए महत्वपूर्ण पहल की है।
News & Image Source : newsonair.gov.in
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