मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नारायणमूर्ति का कहना है कि जब देश का युवा हफ्ते में 70 घंटे काम करेंगे, तभी भारत उन अर्थव्यवस्थाओं के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकेगा, जिन्होंने पिछले दो से तीन दशकों में कामयाबी हासिल की है। नारायणमूर्ति ने पॉडकास्ट ‘द रिकॉर्ड’ के लिए इंफोसिस के पूर्व CFO मोहनदास पई से बात करते हुए ये बात कही।
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में भारत की वर्क प्रोडक्टिविटी दुनिया में सबसे कम है, जबकि हमारा सबसे ज्यादा मुकाबला चीन से है और इसलिए युवाओं को अतिरिक्त घंटे काम करना होगा, जैसा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान और जर्मनी ने किया था।
वर्क प्रोडक्टिविटी में सुधार के अलावा भ्रष्टाचार को खत्म करना होगा, इसके लिए सरकार को कदम उठाने होंगे। अगर हमें प्रगतिशील देशों से मुकाबला करना है कि नौकरशाही को दुरस्त करना होगा। किसी काम को लेकर नौकरशाही के स्तर पर देरी नहीं होनी चाहिए। इसलिए युवाओं को कहना चाहिए कि यह मेरा देश है, और मैं हफ्ते में 70 घंटे काम करूंगा। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मन और जापानियों ने भी यही किया था। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि प्रत्येक जर्मन अतिरिक्त घंटे काम करे।
मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जब उनसे आजादी के 75वें वर्ष में भारत के युवाओं के लिए उनके संदेश के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पिछले 300 सालों में पहली बार, भारत को राष्ट्रों की समिति की नजरों में कुछ सम्मान मिला है। उस सम्मान को मजबूत करना हर भारतीय की जिम्मेदारी है, खासकर युवाओं की।इंफोसिस के प्रमुख ने बताया कि वर्क प्रोडक्टिविटी में चीन एक जीता-जागता उदाहरण है, जहां भारत के मुकाबले लोग ज्यादा देर तक काम करते हैं। इसलिए देश के सभी युवाओं से मेरा अनुरोध है कि इसे महसूस करें और अगले 20 से 50 सालों तक दिन में 12 घंटे काम करें। ताकि भारत GDP के मामले में नंबर एक या दो बन जाए। इसके अलावा 77 साल के नारायणमूर्ति ने एक दिलचस्प किस्सा भी सुनाया, उन्होंने बताया कि कैसे टेक्नोलॉजी ने हमारी लाइफ को आसान बना दिया है। पहले राशन खरीदने के लिए दूर जाना पड़ता था, लेकिन अब एक क्लिक पर घर पहुंच जाता है।
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