राज्यसभा ने उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू को विदाई दी

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प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा है कि राज्‍यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू की नेतृत्‍व क्षमता और अनुशासन से सदन ने नई ऊंचाइयां प्राप्‍त की हैं। आज श्री नायडू को उनका कार्यकाल सम्पन्न होने पर बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ऊपरी सदन के कामकाज में 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। उन्‍होंने कहा कि इस दौरान एक सौ 77 विधेयक सदन ने पारित किए या फिर उन पर चर्चा हुई । प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री नायडू के राज्‍यसभा का नेतृत्‍व करने का दायित्‍व भले ही पूरा हो गया हो, लेकिन राष्‍ट्र और सार्वजनिक जीवन में योगदान करने वाले लोगों को उनके अनुभव हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे। उन्होंने कहा कि देश के युवा श्री नायडू के समाज, राष्‍ट्र और लोकतंत्र के अनुभवों से लाभ उठा सकता है । उन्‍होंने कहा कि देश इस वर्ष स्‍वतंत्रता दिवस एक ऐसे समय पर मना रहा है, जब भारत के राष्‍ट्रपति, उपराष्‍ट्रपति, लोकसभा अध्‍यक्ष और प्रधानमंत्री, सभी स्‍वतंत्र भारत में पैदा हुए हैं और वे सामान्‍य पृष्‍ठभूमि से सम्‍बद्ध हैं। प्रधानमंत्री ने भारतीय जनता पार्टी के अध्‍यक्ष के रूप में श्री नायडू के नेतृत्‍व, केन्‍द्रीय मंत्री के रूप में उनके परिश्रम और उपराष्‍ट्रपति के रूप में उनकी गरिमा की सराहना की । प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री नायडू ने राज्‍यसभा में मातृभाषाओं को बढावा देने के विशेष प्रयास किए। उन्‍होंने कहा कि उनकी धरोहर और उनके द्वारा स्‍थापित मानकों से सदन के सदस्‍यों को हमेशा प्रेरणा मिलेगी। श्री मोदी ने कहा कि सभापति के रूप में नायडू का विनोदी स्‍वभाव और भाषा पर उनका नियंत्रण हमेशा याद किया जाएगा।

अपने विदाई संबोधन में सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि ऊपरी सदन के बहुत से उत्तरदायित्व है क्योंकि समूचा विश्व भारत की ओर देख रहा है। उन्होंने सदस्यों से अपील की वे सदन की शालीनता, गरिमा, शिष्टाचार बनाए रखे। श्री नायडू ने कहा कि लोग सदन में चर्चा और बहस देखना चाहते है, औऱ व्यवधान पसंद नहीं करते है। उन्होंने कहा कि वे सदन के सभापति के रूप में उन्होंने दोनों पक्षों की ओर से अपने दायित्वों की पूर्ति का हमेशा प्रयास किया। मातृभाषा को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि इसे हर स्तर पर बनाए रखना आवश्यक है । सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि श्री वेंकैया नायडू ने अपने कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण विधेयक पारित कराए। श्री नायडू ने न केवल मातृभाषा को प्रोत्साहित किया बल्कि हमेशा उसके प्रयोग पर बल दिया।

श्री एम. वेंकैया नायडू के राजनीतिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि वे 19 वर्ष तक राज्‍यसभा के सदस्‍य रहे और छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे। श्री खडगे ने दबाव के क्षणों में कर्तव्‍य निर्वहण के लिए श्री नायडू की प्रशंसा की। श्री खडगे ने कहा कि श्री नायडू ने महिला आरक्षण विधेयक और अन्‍य मुद्दों पर सहमति विकसित करने के प्रयास किए। उन्‍होंने कोविड महामारी के दौरान सदन की कार्यवाही के सक्षम प्रबंधन और सदन में सदस्‍यों को मातृ भाषाओं में बोलने का अवसर प्रदान करने के लिए भी उनकी सराहना की।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने श्री नायडू के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि वे सदन के सभी सदस्यों को समान अवसर प्रदान किये । उपसभापति हरिवंश ने कहा कि श्री नायडू का व्यक्तित्व उनकी विचारधारा और उत्तरदायित्वों के निर्वहण सभी के आदर्श रहेंगे । टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने श्री नायडू के योगदान की सराहना की और कहा कि उनके कार्यकाल में राज्‍यसभा की कार्य क्षमता में सुधार हुआ। डीएमके नेता तिरुचि शिवा ने कहा कि श्री नायडू ने हर सदस्य को उनकी मातृभाषा में बोलने का अवसर दिया। राष्ट्रीय जनता दल के डॉक्टर मनोज झा ने कहा कि सवांद की परम्परा जारी रहनी चाहिए । आम आदमी पार्टी सांसद राघव ने कहा कि वेंकैया नायडू ने सभापति के रूप में युवाओं के लिए एक आदर्श रहे। एनसीपी की वंदना चौहान ने कहा कि श्री नायडू ने सदस्यों को मातृभाषा और अनुशासन की प्रेरणा दी । कई अन्य मंत्रियों ने भी श्री नायडू की भूमिका और कर्तव्‍यपरायणता पर विचार रखे इनमें केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी, पुरूषोत्तम रूपाला, रामदास अठावले, ऑल इंडिया अन्‍न डीएमके नेता एम. थम्‍बी दुरई, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, मार्क्‍सवादी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के डॉक्‍टर जॉन ब्रिटश, भारतीय कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के बिनोय बिस्‍वम, बीजू जनता दल के सस्मित्र पात्रा और अन्‍य सदस्‍यों ने भी सभापति के रूप में श्री नायडू के कामकाज की सराहना की।

 

courtesy newsonair

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