भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी, राधा अष्टमी है। कल बुधवार को राधाष्टमी है। राधाजी ब्रह्मस्वरूप, निर्लिप्त तथा प्रकृति से परे हैं। वे अकृत्रिम नित्य और सत्यस्वरूप हैं। भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि को राधाजी का वृषभानु जी के यहॉं श्रीवृषभानुपुरी (बरसाना) में प्राकट्य हुआ था। कहते हैं राधाजी का ननिहाल समीपस्थ रावल ग्राम में है। श्रीमद्देवी भागवत के अनुसार – कृष्णार्चायां नाधिकारो यतो राधार्चनं विना। अर्थात् – राधाजी की पूजा न की जाए तो मनुष्य श्रीकृष्ण की पूजा का अधिकार नहीं रखता है। अतएव राधाजी की अर्चना, पूजा अवश्य करना चाहिए। वे श्रीकृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी हैं। राधाजी के पिता वृषभानुपुरी के राजा वृषभानु जी महान, उदार, सब शास्त्रों के ज्ञाता, अणिमा – महिमा आदि आठों प्रकार की सिद्धियों से युक्त, श्रीमान, धनी थे। राधाजी की माता का नाम श्रीकीर्तिदेवी है। राधाष्टमी सनातनियों के लिये एक महान पावन पर्व है। इस दिन विधि-विधान से उनका पूजन किया जाता है।
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