मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली में 2023 और 2024 के लिए राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार प्रदान किए। ये प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान असाधारण कलात्मक निपुणता और भारत की समृद्ध तथा विविध हस्तशिल्प विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि कला लोगों को विभिन्न संस्कृतियों और एक-दूसरे से जोड़ती है। उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प न केवल एक सांस्कृतिक पहचान है बल्कि लोगों की आजीविका का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र देश के 32 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है और उनमें से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों से हैं।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि हस्तशिल्प क्षेत्र में 68 प्रतिशत महिलाएँ कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के विकास से महिला सशक्तिकरण भी सुनिश्चित होगा। राष्ट्रपति ने आज 20 शिल्पियों को पुरस्कार मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की। इस अवसर पर कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि हाल ही में जीएसटी दरों को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से भी इस क्षेत्र को लाभ हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय भारतीय हस्तशिल्प को गाँवों से वैश्विक बाजार तक ले जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2031-32 तक इन उत्पादों के निर्यात में 1 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है। 2023 के लिए हस्त-चित्रित वस्त्र श्रेणी में शिल्प गुरु पुरस्कार पश्चिम बंगाल के अजीत कुमार दास को प्रदान किया गया, जबकि चमड़े की कठपुतली श्रेणी में आंध्र प्रदेश की डी. शिवम्मा को यह पुरस्कार मिला। 2023 के राष्ट्रीय पुरस्कार धातु शिल्प के लिए छत्तीसगढ़ की हीराबाई झारेका बघेल, हस्तनिर्मित क़ालीन के लिए उत्तर प्रदेश के इम्तियाज अहमद और कलात्मक वस्त्रों के लिए राजस्थान के रोशन छीपा को प्रदान किए गए। वर्ष 2024 के शिल्प गुरु पुरस्कार धातु शिल्प श्रेणी में हरियाणा के सुभाष अरोड़ा और काष्ठ नक्काशी श्रेणी में उत्तर प्रदेश के मोहम्मद दिलशाद को प्रदान किए गए। 2024 के राष्ट्रीय पुरस्कार तमिलनाडु के टी. भास्करन को पत्थर की नक्काशी के लिए, पश्चिम बंगाल के रूपबन चित्रकार को चित्रकला के लिए और मध्य प्रदेश के बलदेव बाघमारे को आदिवासी कारीगर श्रेणी में प्रदान किए गए। कुल 12 कारीगरों को 2023 और 2024 के लिए शिल्प गुरु पुरस्कार मिले, जबकि 36 शिल्पकारों को दोनों वर्षों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार दिये गए।
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