राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी की आकांक्षाएं पूरी करने और भारत को भविष्‍य की तरफ ले जाने में मददगार

0
200

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी की आकांक्षाओं को पूरा करती है। दिल्ली में ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ बातचीत करते हुए श्री मोदी ने कहा कि शिक्षा नीति बनाने से पहले देशभर में विभिन्‍न वर्ग के लोगों से व्‍यापक स्‍तर पर विचार विमर्श किया गया है। उन्होंने कहा कि 20वीं सदी के पुराने विचार और नीतियां 21वीं सदी में भारत के विकास पथ का मार्गदर्शन नहीं कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि समय के साथ देश को बदलना होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी कोई अभिशाप नहीं है और इसका स्वागत तथा प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाना चाहिए। परीक्षा से पहले छात्रों में व्‍याप्‍त तनाव पर श्री मोदी ने उन्‍हें सलाह दी कि वे परीक्षा के तनाव में बिल्‍कुल न आयें और मानकर चलें कि उन्‍होंने पहले भी ऐसी स्थिति का सामना किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि माता-पिता और शिक्षकों के अधूरे सपनों को बच्चों पर थोपा नहीं जा सकता।
श्री मोदी ने कहा कि परीक्षाएं लोगों के जीवन का एक सहज हिस्सा हैं और विकास यात्रा में एक और मील का पत्थर हैं। उन्होंने कहा कि एक विकलांग व्यक्ति कितनी क्षमताओं से वंचित रहता है फिर भी वह उन कमजोरियों को ताकत में बदल देता है। उन्होंने कहा कि छात्रों को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और देखना चाहिए कि कौन सी कमजोरियां उन्हें आगे बढ़ने से रोक रही हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के युवाओं के लिए अपार संभावनाएं हैं । उन्होंने कहा कि उनकी प्रतिस्पर्धा अधिक हो सकती है लेकिन उनके पास कई और अवसर भी हैं। श्री मोदी ने कहा कि युवाओं में बहुत जिज्ञासा है कि वे अपनी कार्यक्षमता में कैसे सुधार ला कर परीक्षा की बेहतर तैयारी कर सकते हैं। उन्होंने बालिकाओं के सशक्तिकरण की भी बात कही। उन्होंने कहा कि बेटियां परिवार की शक्ति होती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को लेकर लोगों में संशय था लेकिन देश के बच्चों ने इस संशय को गलत साबित कर दिया। उन्होंने स्वच्छता अभियान के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए बच्चों की प्रशंसा भी की।

Google search engine

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here