भारतीय रिज़र्व बैंक ने व्यक्तिगत आवासीय ऋण की वर्तमान सीमा में बढ़ोत्तरी कर दी है। सहकारी बैंकों को भी यह सुविधा उपलब्ध होगी। भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक बयान में बताया है कि प्राथमिक नगरीय सहकारी बैंकों – यूसीबी के लिए प्रथम श्रेणी के नगरों के लिए ये सीमा दोगुनी करके 30 लाख से 60 लाख और द्वितीय श्रेणी के नगरों के लिए 70 लाख से एक करोड़ 40 लाख रुपये कर दी गई है। सौ करोड़ रुपये से कम की कुल राशि वाले ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिए यह सीमा 20 लाख से 50 लाख तय की गई है। जबकि, शेष ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिए यह सीमा 30 लाख से बढ़ाकर 75 लाख कर दी गई है। रिज़र्व बैंक ने कहा है कि 2011 में प्राथमिक सहकारी बैंकों और 2009 में आवासीय ऋण की सीमा में वृद्धि की गई थी। इसी के मद्देनज़र इस वर्ष भी इस प्रकार के ऋणों की सीमा बढाई गई है।
इसी तरह उचित मूल्य में आवासीय भवनों की बढ़ती जरूरत को देखते हुए बैंक ने राजकीय सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को कॉमर्शियल रियल इस्टेट-रिहायशी आवासीय भवनों के लिए वित्त उपलब्ध कराने की अनुमति देने का निर्णय लिया है। इस बारे में बाद में विस्तार से अधिसूचना जारी की जाएगी।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने शहरी सहकारी बैंकों को अपने ग्राहकों को उनके द्वार तक बैंक सेवाएं बढ़ाने की अनुमति देने का निर्णय लिया है। सूचीबद्ध व्यवसायिक बैंकों को इसकी पहले से ही अनुमति दी जा चुकी है।
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