मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कल उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा है कि रीवा मेडिकल हब बनने के लिए तेजी से आगे बढ़ रहा है। बाहर जाने वाले लगभग पचास प्रतिशत जटिल रोगी अब रीवा में ही इलाज करा रहे हैं। विकसित भारत का सपना लोगों के स्वस्थ होने पर ही साकार होगा। चिकित्सा के क्षेत्र में लगातार अनुसंधान से नई तकनीकों से अधिक कारगर उपचार सुविधाएं विकसित हो रही हैं। इस तरह के आयोजनों से चिकित्सकों को आपस में संवाद करने और अपने ज्ञान को बेहतर करने का अवसर मिलता है। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल रविवार को रीवा में तीसरी डायबीटिक फुट कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि खान-पान की आदतों और जीवनशैली के कारण डायबिटीज का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। इसके कारण पैरों में कई तरह की जटिलता आती हैं और कई बार पैर काटने पड़ते हैं। यह कार्यशाला लोगों को जागरूक करने और रीवा में डायबीटिक फुट की प्रभावी उपचार व्यवस्था बनाने में सहायक सिद्ध होगी। कार्यशाला में चिकित्सकों ने समर्पण के भाव से जो संवाद किया है उसके सुखद परिणाम निकलेंगे। रीवा में चिकित्सा के क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है। शीघ्र ही रीवा में दो सौ बेड का कैंसर अस्पताल शुरू हो रहा है। इसमें कैंसर के उपचार के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर और आधुनिकतम मशीनें रहेंगी। सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल की सुविधाओं को भी लगातार बेहतर किया जा रहा है। आयुष्मान कार्ड योजना से उपचार कराने में भी रीवा प्रदेश में सबसे आगे हैं।
कार्यशाला में इंडियन कोडायट्री एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. ए.पी. सूरी ने कहा कि 2009 में संस्था का गठन किया गया। डायबिटीज के कारण पैरों में कई तरह की समस्याएं आती हैं। इनका समय पर इलाज न होने पर पैर काटने तक की नौबत आ जाती है। संस्था का मुख्य उद्देश्य डायबिटिक फुट के उपचार की सुविधाएं मध्यप्रदेश के प्रत्येक जिला स्तर पर उपलब्ध कराने की है। हम दो साल तक यदि जागरूकता अभियान चलाएं तो मध्यप्रदेश को पाँच साल में डायबिटिक फुट के रोग से मुक्त कर देंगे।
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News & Image Source: mpinfo.org